गुरुवार, 21 जुलाई 2011

क्या कन्या भ्रूण हत्या करने वाले इससे लेंगे कुछ सबक ?




क्या कन्या भ्रूण हत्या करने वाले इससे लेंगे कुछ  सबक ?कल मैंने अनवर जी के ''मुशायरा ' ब्लॉग पर उनके द्वारा प्रस्तुत एक अशआर पढ़ा ,जो इस प्रकार था -
 
तर्क ए मोहब्बत पर भी होगी उनकी  नदामत हम से ज़्यादा
किसने की हैं कौन करेगा उनसे मोहब्बत हम से  ज़्यादा
कोई तमन्ना कोई मसर्रत दिल के करीब आने ही ना दी 

किसने की है  इश्क़  में यारों 
ग़म से मोहब्बत हम से  ज़्यादा
इस अशआर के नीचे लिखी पंक्तियाँ मन को झंकझोर  देने वाली थी.जो इस प्रकार थी -''एक मासूम कली हमारे आँगन में खिली हमारे घर को महकाया और फिर जन्नत का फूल बन गयी .'' अनवर जी ने इस सन्दर्भ  में बताया कि-
''अशआर  के  नीचे  एक लाइन जिस वाक़ये से मुताल्लिक़ लिखा है, वह पिछले साल 22 जुलाई को पेश आया था। अब दो दिन बाद फिर 22 जुलाई आने वाली है। मैं अपनी बेटियों से प्यार करता हूं। अनम आज भी याद आती है तो आंखें भर आती हैं। वह इस संसार में कुल 28 दिन ज़िंदा रही। उसने बड़ी हिम्मत से ‘स्पाइना बिफ़िडा‘ के फ़ोड़े की तकलीफ़ को झेला और इतने बड़े ज़ख्म के बावजूद उसने हमें परेशान नहीं किया। वह तो रोती तक न थी। मैं अपने हाथों से सुबह शाम दो वक्त उसकी ड्रेसिंग किया करता था।
बहरहाल वह हमें याद आती है लेकिन उसके हक़ में यही बेहतर था।
हमारा रब हमें उससे फिर मिला देगा, इंशा अल्लाह 

अपनी नन्ही सी कली के प्रति उनकी भावनाओं ने दिल को छू लिया  .मैं परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करूंगी कि वो अनवर जी की  ख्वाहिश को जरूर पूरा करें व् सभी बच्चियों को अनवर जी जैसे पिता की छत्र-छाया प्रदान करें

                                            शिखा कौशिक 

2 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

आमीन .सार्थक पोस्ट अनवर जी आज के ब्लॉग जगत में न केवल प्रशंसा के हकदार हैं अपितु उनके बारे में जो तमाम विवाद समय समय पर उठते रहते हैं उन्हें शांत करने के लिए भी ये पोस्ट महत्वपूर्ण है.

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

एक दुखद समाचार पढकर आघात लगा.
अनवर साहब ने सही कहा कि-मासूम अपाहिज बच्चों को उनकी मांओं के पेट में मार डालने को जायज़ करने वाले उच्च शिक्षित लोग ही हैं।