शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें !


महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें 





Shiva Wallpaper

मेरे मन बनकर तू डमरू 
करता जा डम-डम-डम 
तेरी डम -डम में गूंजेंगी 
मेरे भोले की बम-बम 
मेरे मन बनकर तू ......


मेरा भोला सब भक्तों  के 
है सारे  कष्ट  मिटाता  
वो भक्तों की रक्षा  हित  
है कालकूट  पी  जाता 
मेरी  जिह्वा  करती चल  तू 
शिव महिमा   का ही वर्णन  
मेरे मन ..........................


मेरा भोला कितना  भोला 
नागों  का हार  पहनता   
वो  जटाजूट  में अपने 
गंगा  को  धारण  करता
मैं कण -कण  में करती हूँ 
शिव-शंकर का ही दर्शन .
मेरे बन ................


सावन में कांवड़ लेकर  जो    
गंगाजल लेने जाते 
लाकर शिवलिंग  पर उसको      
श्रृद्धा  सहित चढाते 
हर इच्छा पूरी होती 
पावन हो जाता जीवन .
मेरे मन बनकर.....


द्वादश ज्योतिर्लिंगों  में शिव
-शक्ति ज्योत समाई ;
इनके दर्शन से भक्तों ने 
भय से मुक्ति पाई ;
गौरी-शंकर के चरणों में 
तन -मन-धन सब अर्पण 
मेरे मन बनकर .....


                                  शिखा कौशिक 
                        [विख्यात ]












गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

अब तो कुछ बोल ओ स्त्री......!!






उसके लिए......
जो बरसों से कुछ बोली नहीं है......
जो बस अपने पति....
अपने बच्चों के लिए जीती है....
जो उससे ज्यादा कभी सोचती भी नहीं....
उसकी चिंता के दायरे में बस उसका परिवार है....
और बाकी सब कुछ बिखरा जा रहा है....
उसकी गैरमौजूदगी में.....
अगर वो बोले....
अगर वो सामने आये....
तो बदल सकता है बहुत कुछ.....
क्यूंकि वो सिर्फ आधी आबादी नहीं है..!!
वो आने वाली नयी आबादी का स्त्रोत है....
वो आदि है.....वो अंत है......
फिर भी उसके भरम का कोई नहीं अंत है.....!!
अगर वो अपने इस भरम से बाहर निकल सके....
अगर वो अपने आँचल को क्षतिज तक फैला दे
तो ढंक जाए आकाश...ढँक जाए अनंत.....
और वो सब घट जाए,जो नहीं घटा है अब तक....
आदमी की फितरत बदल जाए....
धरती की सूरत बदल जाए....!!

अब तो कुछ बोल ओ स्त्री......!!

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

ब्लॉग पहेली-१४


ब्लॉग पहेली-१४ 

बहुत आसान है इन्हें पहचानना.ये कौन हैं ?सबसे पहले बताइए और ''विजेता बन जाइये .







                                             शुभकामनाओं के साथ 
                            शिखा कौशिक   
                    [ब्लॉग पहेली चलो हल करते हैं ]

रविवार, 12 फ़रवरी 2012

स्त्रियाँ ही तय करती हैं बहुत कुछ........!!


दरअसल स्त्रियाँ ही तय करती हैं बहुत कुछ,
मगर वो सोचती ही नहीं कि उन्हें तय करना चाहिए कुछ....
अगर स्त्री सचमुच अगर तय कर ले कि ये दुनिया बदलनी है,
तो सचमुच बदला जा सकता है...सबका-सब...सब कुछ
मगर स्त्री बरसों से इस धोखे में है,
कि वो कमजोर है बहुत
और कुछ भी बदल नहीं सकती वो
स्त्री अपनी ताकत का अंदाजा
देवियों के अनेक रूपों को देखकर भी,
जिनकी पूजा किया करती हैं वो रोज ब रोज,
कभी कर नहीं पाती खुद की गरिमा का अहसास...
और रोज-ब-रोज सजती-संवरती है पुरुष के लिए
और इस तरह बजाय अपनी ताकत के
वो देती हैं अपनी मादकता का अहसास...
अगर संसार की सारी स्त्रियाँ या कुछ ही स्त्रियाँ
सिर्फ एक क्षण को भी यह सोच लें
कि वो रसीली-छबीली या सेक्सी ना होकर
एक अहसास भी हैं मानवता के बदलाव का
कोमलता के साथ-साथ संवेदना की गहराई का...
तो दुनिया बदल सकती है एकदम से
पता है कितने समय में...??
बस एक पल में.....!!