[खुला विरोध ]
अविनाश वाचस्पति जी ,
नमस्कार ,
आपकी इस पोस्ट की मैं निंदा करती हूँ .
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बस कमी यह रह गई
वह नहीं नाचीं
तबीयत नासाज रही जरासी।''
सोनिया जी एक महिला [मह+इलच+आ=जो श्रेष्ठ है ] हैं .उनके प्रति आपके ये उद्गार समस्त नारी जाति को अपमानित करते प्रतीत होते हैं .व्यंग्य की भी एक सीमा होती है .............बस भगवती देवी शर्मा जी के शब्दों में -"नारी की गरिमा को गिराने में घाटा ही घाटा है"
शिखा कौशिक