शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

क्या धमाके करने वाले किसी भी कोख से जन्म नहीं लेते !!??

कुछ धमाके होते हैं और 
उन धमाकों के साथ 
कुछ जिंदगियां तमाम....
उन धमाकों में है सन्देश 
किसी तरह की कायरता का 
एक अमानुषिक बर्बरता का 
जिसे धमाके करने वाले 
कहते हैं अपनी ताकत 
जिससे करते हैं वो 
सत्ता के खिलाफ जंग
जिसे कहते हैं वो 
कि यह ज़ुल्म के खिलाफ
जो भी हो मगर उनकी इस 
ताकत या कायरता का शिकार 
बनते हैं कुछ मासूम लोग 
बच्चे-बूढ़े और स्त्रियाँ भी 
जहां होते हैं धमाके 
वहां बिखर जाता है खून
बिछ जाती हैं लाशें और 
तड़पते हैं जीवित शरीर
जिसे देखकर हो जाता है 
हर कोई कातर-निर्विकल्प 
शून्य और संज्ञा रहित.....
और मर्मान्तक तक कहीं 
अतल गहरे में रोते हैं हम....
जिसे कहते हैं हम मानवता 
हम सब किसी ना किसी 
कोख से जन्म लेते हैं.....
क्या धमाके करने वाले 
किसी भी कोख से जन्म नहीं लेते !!??   

ऐसा देश है मेरा.....


पढ़ा लिखा है यहाँ संतरी 
अशिक्षित है शिक्षामंत्री 
सुन लो ओ जग वालों 
कहता हूँ मैं खरी-खरी 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा 
जिसको घर का काज न आवे 
वो प्रदेश का राज चलावे 
जहाँ का लीडर अपनी सोचे 
और समाज का बैंड बजावे 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा
भाई भतीजा वाद बहुत है 
भ्रष्टाचार आबाद बहुत है 
मानवता ईमान नहीं कुछ 
धर्म के नाम पे फसाद बहुत है 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा
पत्थर पे लाखों का हार सजाते 
पर गरीब को मार भगाते 
अंधविश्वास का हाल ये देखो 
बच्चों का भी शीश चढाते 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा
हम दो हमारे सौ का नारा है 
आबादी बढ़ाना ही काम प्यारा है 
लड़की उनको भी कुंवारी चाहिए 
जो खुद सौ-सौ मुंह मारा है 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा
लोग चवन्नी बस यहाँ कमाते 
शाम हुई खूब पी के आते 
ज्ञान के नाम पर शून्य हैं फिर भी 
बातें बड़ी-बड़ी कर जाते 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा
'हीरो' की तुम देखो बातें 
फुटपाथ पर गाडी चलते 
लोग फिर भी है उनके 'फैन'
जो लोगों को नींद में उड़ाते 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा
विश्व सुंदरी भी क्या कमाल करें 
परोपकार समाज सेवा की बात करे 
पहनते ही ताज मगर वो भी 
'बॉलीवुड' की ही राह धरे 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा
कहीं-कहीं हैं रातें उजली 
कहीं-कहीं हैं दिन में भी अँधेरा 
चंद लोग तो महलों में सोते 
बाकी का है फुटपाथ बसेरा 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा

बुधवार, 7 सितंबर 2011

कौन हैं ये राइट ब्रदर्स ?

केवल सम्मानित होने और सम्मानित करने के शौक़ में
और इसी के साथ हिंदी ब्लॉगर्स की पतली जेब से मोटी रक़म भी निकाल लेंगे राइट ब्रदर्स।
कौन हैं ये राइट ब्रदर्स ?
दुनिया इन्हें जिस नाम से भी जाने हम तो इन्हें अवि-रवि की जोड़ी के नाम से जानते हैं।
इनकी ठगी की पूरी दास्तान, नहीं पूरी नहीं बल्कि अधूरी दास्तान देखिए हमारे ब्लॉग पर , 

बड़ा ब्लॉगर वह है जो कमाता है



और डेल कारनेगी ने कहा है कि ‘आदमी को सबसे प्यारी आवाज़ उसके नाम की आवाज़ लगती है‘
ठग इस बात को जानते हैं और वे लोगों की इसी कमज़ोरी का फ़ायदा उठाकर अपनी रददी को किताब के भाव बेच भागते हैं।

देखिये कमाने के कुछ जायज़ तरीके (वीडियो)

सोमवार, 5 सितंबर 2011

यह है बीजेपी की असलियत ?

Please see
http://hbfint.blogspot.com/2011/09/blog-post_06.html
क्या बीजेपी शैतानों की जमात है ?

यह बात बिना किसी के बताए मुसलमानों के दिमाग़ में पहले से ही है और समय समय पर इस धारणा को बीजेपी लीडर्स ख़ुद ही पुष्ट करते रहते हैं।
झारखंड के मुस्लिम गवर्नर ने अपने काम की शुरूआत अल्लाह के नाम से की तो उसे सराहने के बजाय विवाद पैदा करके वे मुसलमानों के दिलों में अपने लिए मौजूद संदेह को और ज़्यादा गहरा कर रहे हैं।
मज़ारों पर चादरें भेजना या रमज़ान में अफ़्तार पार्टियों का आयोजन ये लोग मुसलमानों को केवल धोखा देने के लिए करते हैं।
भगवा रंग और राम नाम का इस्तेमाल भी ये लोग इसी मक़सद से करते हैं।
ये रहीम के नहीं हैं तो क्या, ये तो राम के भी न हुए।
इसीलिए ये न घर के हुए और न घाट के रहे।

इनका यही अमल जारी रहा तो ये बीच में घूमने लायक़ भी नहीं बचेंगे।
(बहवाला - राष्ट्रीय सहारा उर्दू दैनिक मुख पृष्ठ दिनांक 6 सितंबर 2011 दिल्ली)



यह है बीजेपी की असलियत ?

हमारी 2 पोस्ट को सुपरहिट और 5 पोस्ट्स को सबसे चर्चित पोस्ट क़रार दिया है नभाटा ने।

जी हां, दोस्तो , हमारी 2 पोस्ट को सुपरहिट और 5 पोस्ट्स को सबसे चर्चित पोस्ट क़रार दिया है नभाटा ने।
आप भी देखिए निम्न लिंक पर जाकर।
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/
थोड़ी जगह हमने दूसरों के लिए भी छोड़ दी है।
ज़रा अच्छा सा नहीं लगता कि सारी पोस्ट्स वहां एक ही आदमी की नज़र आएं।
आप भी अपनी पोस्ट लगाइये नभाटा पर और पाइये नए पाठकों से जुड़ने का सुखद अहसास।
---शांति को समर्पित एक साईट 
 

रविवार, 4 सितंबर 2011

हाजी अब्दुल रहीम निःस्वार्थ सेवा की मिसाल .....हरीश सिंह


हाजी अब्दुल रहीम अंसारी साहब
कागज़ी समाजसेवी सबक़ लें ... 

 समाचार पत्रों में आप अक्सर समाजसेवियों के बारे में पढ़ते रहते है. किन्तु जो समाजसेवी समाचार पत्रों की सुर्खियाँ बनते है उसके पीछे कितनी सतनी सच्चाई होती है. शायद हर पत्रकार जानता है. ऐसे समाजसेवियों को आईना दिखने के लिए हैं.  हाजी अब्दुल रहीम अंसारी, एक ऐसा नाम जो उन लोंगो के लिए के लिए प्रेरणा श्रोत है जो खुद को समाजसेवी कहलाने के लिए परेशान रहते है किन्तु समाजसेवा का कोई कार्य नहीं करते. 

मूलतः संत रविदासनगर भदोही जनपद के काजीपुर मुहल्ले के रहने वाले अब्दुल रहीम अंसारी नगर के अयोध्यापुरी प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कई वर्षो तक  कार्यरत रहे. २००७ में वे इसी विद्यालय से अवकाश प्राप्त किये, दो दिन घर पर रहने के बाद उन्हें एहसास हुआ की वे घर पर खाली नहीं रह सकते. लिहाजा फिर पहुँच गए उसी स्कूल जहाँ बच्चो को पढ़ाते थे, उन्हें देखते ही बच्चे चहक उठे. उन्होंने विद्यालय के प्रधानाचार्य से पढ़ाने की इच्छा जाहिर की और नियमित रूप से विद्यालय आकर पढ़ाने लगे. यही नहीं विद्यालय का लेखा जोखा पहले उन्ही के पास रहता था, दुबारा यह जिम्मेदारी उन्हें फिर सौंप दी गयी.  २००९ में उन्होंने हज भी किया. पांच वक़्त के नमाज़ी अब्दुल रहीम अभी तक नियमित रूप से विद्यालय  आकर बच्चो को शिक्षा देते रहते है. उन्हीं के दिशा निर्देश पर पूरा विद्यालय परिवार चलता है. एक बार विद्यालय के प्रधानाद्यापक और सहायक अध्यापक राजीव श्रीवास्तव ने उन्हें अपने वेतन से कुछ पारिश्रमिक देने की बात कही तो वे  भड़क उठे.  कहा आज भी सरकार उन्हें आधी तनख्वाह देती है. हराम का लेना उन्हें पसंद नहीं जब तक शरीर साथ देगा वे बच्चों को नियमित शिक्षा देंगे. यही नहीं वे होमियोपैथिक के अच्छे जानकर भी है. विद्यालय के बच्चे जब बीमार होते हैं तो वही दवा देते हैं.. यही नहीं जो भी उनके पास इलाज के लिए पहुँचता है. उसे भी दवा देते है. और इस दवा का वे कभी एक पैसा तक नहीं लेते. आज वे अपने मुहल्ले में वे सम्मान की दृष्टि से देखे जाते है.  आज जहा लोग पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते है. ऐसे में वे सम्मान जनक पात्र ही नहीं वरन पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत  है.
सच इंसानियत, समाजसेवा का जज्बा हर इन्सान में होना चाहिए चाहे वह किसी भी धर्म का हो. ऐसे महान व्यक्तित्व को मैं सलाम करता हूँ. यदि ऐसे लोंगो का अनुसरण लोग करें तो जरा सोचिये समाज का क्या स्वरूप होगा. 

हाजी अब्दुल रहीम साहब के बारे में हमें यह सारी जानकारी हमारे मित्र हरीश सिंह जी ने दी है जो कि ख़ुद भदोही में ही रहते हैं। यह जानकर अच्छा लगता है कि हमारे बीच  अभी ऐसे  लोग मौजूद हैं जो कि अपने फ़र्ज़ पहचानते हैं और उसे अदा करते हैं और यह तो सोने पर सुहागे जैसा सुखद है कि यह सब करने वाला एक मुसलमान है।
हमारी दुआ है कि मुसलमानों को विशेष रूप से हाजी जी के अमल से प्रेरणा मिले और यूं तो वह हरेक के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं ही।
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आज सबसे पहले हाजी अब्दुल रहीम साहब का ही ज़िक्र किया गया है। जिसे आप इस लिंक पर देख सकते हैं-