शनिवार, 11 फ़रवरी 2012
अंदाज ए मेरा: शर्मनाक.....शर्मनाक.... शर्मनाक
अंदाज ए मेरा: शर्मनाक.....शर्मनाक.... शर्मनाक: कैप्टन बाना सिंह जी गर्व की बात है... हम उस देश में पैदा हुए , जिस देश की मिट्टी को माथे पर लगाया जाता है। गर्व की बात है..... हम उ...
रविवार, 5 फ़रवरी 2012
राजघाट तो चले जाना,बिड़ला हाऊस मत जाना मेरे बेटे....!!
दिल्ली आये हो मेरे बेटे ?
तो मेरी समाधि तो देखने का मन तो होगा ही !
रिंग रोड पर एक शांत और सुरम्य जगह बनायी गयी है मेरी समाधि के लिए
बहुत विशाल और बहुत हरितिमा वाली जगह है वो मेरे बेटे !
और हजारों लोग आया करते हैं वहाँ मेरी समाधि पर मत्था टेकने
उस जगह का उससे पहले का कोई इतिहास नहीं है मेरे बेटे
सिवाय इसके कि वो यमुना के किनारे फैली एक खाली भूमि थी
मैंने सोचा भी ना कभी कि इस जगह पर कभी मैं लिटाया जाउंगा..!
और अब जब रोज आते हुए हजारों लोगों को यहाँ देखता हूँ तो पाता हूँ कि
कोई सवाल ही नहीं उठता किसी के मन में कि मैं क्यूँ मारा गया
मुहसे जुडी किसी जगह पर मुझे लिटाया जाता तो शायद यह सवाल उठता भी !
मगर राजघाट ने मेरी ह्त्या को गौण कर मुझे शहीद मात्र बना दिया है !
और मेरे मरने के कारणों पर गोबर लेप दिया है मेरे बेटे !
जो,अगर तुम बिड़ला हाऊस गए,तो वो प्रश्न उठ सकते हैं तुम्हारे मन में !
मैं क्यूँ मारा गया,किस तरह मारा गया ??
समय के साथ ये सवाल अँधेरे में गुम हो गए हैं कहीं
उत्तर की अभिलाषा तो व्यर्थ ही है !
मगर मेरे बेटे बिड़ला हाऊस में मेरे निशाँ देखकर
तुम खुद को रोक नहीं पाओगे,और
हर किसी को निरुत्तर पाकर खुद भी व्यथित हो जाओगे !!
मगर अब यह जो वक्त चल रहा है मेरे बेटे,यह उतना ही फिजूल है,
जितनी फिजूल हो बन गयी है मेरी मौत मेरे वतन की आजादी के बाद !
अब यहाँ ,मेरा हत्यारा बताता है कि उसने मुझे क्यूँ मारा
और उसके तो प्रशंसा के कसीदे भी पढ़े जाने लगे हैं अब !
हर कोई उसके तर्कों से अभिभूत होने लगा है अब
कि मैंने अपने जीवन के अंत में कुछ खास लोगों के सोचे गए
विचारों के अनुसार ना चल कर बड़ी भयंकर गलती की !!
तीस सालों तक छोटे-छोटे पग चल कर जिस देश की आत्मा को मैंने जगाया
अपने नाजुक हथियारों के बल पर लोगों अपने बल पर खड़ा होना सिखाया !
अगर उस देश के कल के पैदा होने वाले ये कम-अक्ल बच्चे
मुझसे मेरे कामों का हिसाब मांगे कि मैंने ऐसा क्यूँ किया-वैसा क्यूँ किया !
तो मैं किस-किसको क्या जवाब दूं मेरे बच्चे
हर आदमी अपना इतिहास खुद लिखा करता है मेरे बच्चे
और हर आदमी से गलतियां भी बेशक हुआ ही करती हैं
मुझसे सदा यह गलतियां होती रहीं शायद कि
कि मैं सदा वतन को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश करता रहा !
जो एक-दुसरे के खून के प्यासी दो कौमों को कभी पसंद नहीं थी
मैं सदा अपने प्यारे वतन के हित के बारे में सोचता रहा
और सदा अपनी-अपनी कौम के हित के बारे में सोचते रहे और तो और
उनके नुमाइंदे अपनी-अपनी गद्दी के हित की बाबत सोचते रहे
अगर मेरा सोचना इतना गलत भी था गलती से भी अगर
तो बातचीत करते ना मुझसे....
अगर इतना ही हुनर था मेरे हत्यारे में तो वो खुद ही देश आजाद करा लेता...!!
मगर मेरी ह्त्या का का अर्थ तो यही हुआ ना
कि मुझसे बातचीत के उनके सारे तर्क भोथरे ही हुए होंगे !
मुझे मारा गया किसी और ही कारणवश मेरे बच्चे
और बिड़ला हाऊस में यही सवाल फिर से उठा सकती है
मुझपर चली हुई उस हत्यारे की आखिरी गोली
इसलिए मेरी तुमसे विनम्र राय है मेरे बेटे
कि राजघाट तो चले जाना मगर बिड़ला हाऊस मत जाना मेरे बेटे....!!
तो मेरी समाधि तो देखने का मन तो होगा ही !
रिंग रोड पर एक शांत और सुरम्य जगह बनायी गयी है मेरी समाधि के लिए
बहुत विशाल और बहुत हरितिमा वाली जगह है वो मेरे बेटे !
और हजारों लोग आया करते हैं वहाँ मेरी समाधि पर मत्था टेकने
उस जगह का उससे पहले का कोई इतिहास नहीं है मेरे बेटे
सिवाय इसके कि वो यमुना के किनारे फैली एक खाली भूमि थी
मैंने सोचा भी ना कभी कि इस जगह पर कभी मैं लिटाया जाउंगा..!
और अब जब रोज आते हुए हजारों लोगों को यहाँ देखता हूँ तो पाता हूँ कि
कोई सवाल ही नहीं उठता किसी के मन में कि मैं क्यूँ मारा गया
मुहसे जुडी किसी जगह पर मुझे लिटाया जाता तो शायद यह सवाल उठता भी !
मगर राजघाट ने मेरी ह्त्या को गौण कर मुझे शहीद मात्र बना दिया है !
और मेरे मरने के कारणों पर गोबर लेप दिया है मेरे बेटे !
जो,अगर तुम बिड़ला हाऊस गए,तो वो प्रश्न उठ सकते हैं तुम्हारे मन में !
मैं क्यूँ मारा गया,किस तरह मारा गया ??
समय के साथ ये सवाल अँधेरे में गुम हो गए हैं कहीं
उत्तर की अभिलाषा तो व्यर्थ ही है !
मगर मेरे बेटे बिड़ला हाऊस में मेरे निशाँ देखकर
तुम खुद को रोक नहीं पाओगे,और
हर किसी को निरुत्तर पाकर खुद भी व्यथित हो जाओगे !!
मगर अब यह जो वक्त चल रहा है मेरे बेटे,यह उतना ही फिजूल है,
जितनी फिजूल हो बन गयी है मेरी मौत मेरे वतन की आजादी के बाद !
अब यहाँ ,मेरा हत्यारा बताता है कि उसने मुझे क्यूँ मारा
और उसके तो प्रशंसा के कसीदे भी पढ़े जाने लगे हैं अब !
हर कोई उसके तर्कों से अभिभूत होने लगा है अब
कि मैंने अपने जीवन के अंत में कुछ खास लोगों के सोचे गए
विचारों के अनुसार ना चल कर बड़ी भयंकर गलती की !!
तीस सालों तक छोटे-छोटे पग चल कर जिस देश की आत्मा को मैंने जगाया
अपने नाजुक हथियारों के बल पर लोगों अपने बल पर खड़ा होना सिखाया !
अगर उस देश के कल के पैदा होने वाले ये कम-अक्ल बच्चे
मुझसे मेरे कामों का हिसाब मांगे कि मैंने ऐसा क्यूँ किया-वैसा क्यूँ किया !
तो मैं किस-किसको क्या जवाब दूं मेरे बच्चे
हर आदमी अपना इतिहास खुद लिखा करता है मेरे बच्चे
और हर आदमी से गलतियां भी बेशक हुआ ही करती हैं
मुझसे सदा यह गलतियां होती रहीं शायद कि
कि मैं सदा वतन को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश करता रहा !
जो एक-दुसरे के खून के प्यासी दो कौमों को कभी पसंद नहीं थी
मैं सदा अपने प्यारे वतन के हित के बारे में सोचता रहा
और सदा अपनी-अपनी कौम के हित के बारे में सोचते रहे और तो और
उनके नुमाइंदे अपनी-अपनी गद्दी के हित की बाबत सोचते रहे
अगर मेरा सोचना इतना गलत भी था गलती से भी अगर
तो बातचीत करते ना मुझसे....
अगर इतना ही हुनर था मेरे हत्यारे में तो वो खुद ही देश आजाद करा लेता...!!
मगर मेरी ह्त्या का का अर्थ तो यही हुआ ना
कि मुझसे बातचीत के उनके सारे तर्क भोथरे ही हुए होंगे !
मुझे मारा गया किसी और ही कारणवश मेरे बच्चे
और बिड़ला हाऊस में यही सवाल फिर से उठा सकती है
मुझपर चली हुई उस हत्यारे की आखिरी गोली
इसलिए मेरी तुमसे विनम्र राय है मेरे बेटे
कि राजघाट तो चले जाना मगर बिड़ला हाऊस मत जाना मेरे बेटे....!!
आ...अब हम सब मिलकर अपने वतन की किस्मत को बदल दें...!!
अरे ओ लालची पागल इंसान !
देख उधर उत्तर-पूर्व में तेरा पडोसी हो रहा है महान
जिससे अपनी भूमि वापस लेने की खायी थी कसमें
अब उससे आँख मिलाना भी नहीं है तेरे बस में !
सिर्फ अपना घर और तिजोरी भरने में मशरूफ तू
क्या तुझमें गैरत नाम की कोई चीज़ बची भी है,
कि देश के एक अदने से आम इंसान से तू आँख मिला भी सके ??
अबे कितना खायेगा बे तू कितना खायेगा बे ?
अबे मर जाएगा...अबे मर जाएगा !!
अबे कभी इस तरह तो सोच कर देखा कर कि
जब खुद की निजी ताकत और शानो-शौकत से
मिलती है तुझको इतनी ज्यादा खुशी
तब समूचे देश की तरक्की और महानता से
हरेक देशवासी को मिलेगी कितनी अपार खुशी !!
अगर तू जरा सा भी अपने लालच को विराम दे सके अगर
तेरे वतन को बहुत राहत मिल जायेगी अरे ओ कमीने रहबर !!
इन्हें गाली नहीं,अपने आने वाले कल का आगाज समझ
कि मुझे मार भी देगा तू, तो ये गालियाँ गली-गली उठने वाली हैं
तू ये समझ ले कि अब बस तेरी शामत आने ही वाली है !!
अरे अंधे ,आँख खोल और देख कि
चारों तरफ चीन-चीन-चीन की आवाजें आ रही हैं !
और यहाँ भारत में तेरे कारनामों से
देश की इज्ज़त की अर्थी उठी जा रही है...!!
तुझे देश की अर्थी निकालने के लिए ही पैदा किया था
तेरे माँ-बाप ने...??
भारतमाता की आबरू लूटने के लिए ही आज़ाद करवाया था
इस वतन को तेरे बाप के बाप के बाप ने....??
तेरे बाप के बाप को मरे तो अभी ज्यादा वक्त भी नहीं बीता
अरे मेरे भाई ये तूने क्या कर दित्ता....क्या कर दित्ता....!!??
शाम को जो लौट कर घर वापस आ जाए, उसे भूला नहीं कहते है !
वक्त पर जो संभल जाए ,उसे बड़े माफ कर देते हैं !!
तू सच जान मेरे अनाम-अनजान भाई
तेरी-मेरी भारतमाता का दिल बहुत बड़ा है !
और तेरे सामने भी अभी रास्ता बहुत लंबा पड़ा है !!
अब भी जाग जाए अगर तू अगर ओ भले इंसान
भारत के भाग ही जाग जायेंगे, बन जाएगा फिर ये महान !!
बहुत दिनों तक अपने सपनों को ढो लिया रे ओ पागल
तेरे सामने हो रहा है तेरे ही वतन का मातम
आ...गले मिल...स्वार्थों को एक तरफ रख
आ... हम सब अपने सारे स्वार्थों को अब ताक पर धर दें....
आ...अब हम सब मिलकर अपने वतन की किस्मत को बदल दें...!!
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