शनिवार, 26 नवंबर 2011

बस एक थप्पड़ !!??


मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
बस एक थप्पड़ !!??
           आज के भारत का सबसे ताजा और मौजूं प्रश्न,आज के भारत के सबसे ज्यादा सुने और सराहे जाने वाले एक गैर-राजनैतिक व्यक्ति के मूंह से निकला हुआ और अब तक सर्वाधिक भर्त्सना का शिकार हुआ एक बयान,जिसे लोकतंत्र के खिलाफ और हिंसा के पक्ष में दिया गया एक गैर-जिम्मेदाराना बयान बताया जा रहा है,मगर सिर्फ राजनैतिक नेताओं और उनसे जुड़े लोगों द्वारा....आम लोगों में इस बयान के प्रति कोई भर्त्सना-भाव नहीं दिखाई पड़ता !! ऐसा लगता है कि आम लोगों का भी यही एक सवाल है.....बस एक थप्पड़ !!?? 
            आप ज़रा सोच कर देखिये कि एक अरब-पति ताकतवर नेता....पता नहीं कितनी संपत्ति का स्वामी....तरह-तरह के दबंग और ताकतवर लोगों का भी बाप....महाराष्ट्र का सबसे कद्दावर नेता...उसे थप्पड़ मारने के लिए कितना साहस चाहिए होगा...??क्या हममें से...आपमें से कोई ऐसा कर सकता है ??.....तो जिस भी किसी ने ऐसा किया है उसने अपनी मानसिकता के किन हालातों के मद्देनज़र ऐसा किया होगा...??और उसने ऐसा करने बाद क्या कहा है वो आपको पता है...??यही कि शरद पवार सबसे भ्रष्ट है और अरबों की संपत्ति का स्वामी है,जिसे हम पहले से ही जानते हैं और यह भी जानते हैं कि इस "मादरे-वतन"!! के 543 संसद-सदस्यों में से आधे से अधिक नेता अरबपति हैं,कुछ पहले से हैं,कुछ के कल-कारखाने भी हैं और कुछ पिछले वर्षों में बही बयार में अरबपति बन गएँ हैं !! सांसद-विधायक बनते ही बरस भर में कोई भी ऐरा-गैरा करोड़-पति बन जाता है और अगर मंत्री बन गया तो उसी अवधि में अरबपति !!??क्यों और कैसे ??!!  बिना किसी व्यापार आदि के बिना पढ़े-लिखे होने के भी....और यहाँ तक कि बिना किसी चरित्र-आचरण के बावजूद इस संसद-सदस्य/विधानसभा-सदस्य नामक जीव को ऐसे कौन से सुरखाब के पर मिल जाते हैं कि कोई नत्थू-खैरा भी हमारे-आपके ही संबंधों और वोटों से हम-आपके बीच से उठकर देखते-ना-देखते कहाँ का कहाँ पहुँच जाता है,उसकी बोली बदल जाती है,यहाँ तक कि वह अपने उस भूत के समाज तक को नहीं पहचानता,जहां से वो आया है !!और विस्मय से हमारी आँखें फटने-फटने को आ जाती हैं !!मगर नहीं फटती !!
           ये सब क्या है,ये सब क्यूँ है,ये सब कब तक चलता रहेगा ??और ऐसी राजनीति को कोई व्यक्ति थप्पड़ मार कर उसे उसकी सही औकात दिखा दे तो आप उसकी लानत-मलामत करने लगो ??अगर कोई कह दे कि बस एक थप्पड़ ,तो आप सारी संसद का अपमान मान लो ??अगर कोई ओम पूरी जैसा शख्स कुछ संसद सदस्यों को बे-पढ़ा-लिखा और असभ्य बता दे तो उसे नोटिस भेज उसे आखिरकार माफ़ी मानने को विवश कर दो....??अरे भाई आप लोग हो क्या....??जिन करोड़ों लोगों ने अपना विश्वास प्रदान कर आपको संसद में पहुंचाया है,उन्हें उसके बदले में तुमने क्या दिया है....अरे माननीय महान लोगों !!, पिछले साठ-बासठ-चौंसठ बरसों में आपने अपने घर को भरने के सिवाय और क्या किया है ?? आपको धंधा ही करना था तो आप नेता क्यों बने....दलाल बनते....ठेकेदार बनते....कुछ भी बनते ना...!!मगर नेता क्यूँ बने...??सिर्फ इसीलिए ना कि आपमें कुछ बन पाने की योग्यता नहीं थी.....!!??मोहल्ले-टोले-कस्बे-गाँव लोगों को उलटे-सीधे तरीके से भरमाते हुए आपने किसी के साथ अपनी गोटी फिट की और इस तरह पदार्पण हुआ आपका राजनीति में....!!अगर किसी रसूखदार परिवार से हुए तो सीधे-सीधे ही आका के पद पर जा बैठे !!मगर राजनीति का अर्थ क्या कभी आपने जाना भी....??क्या वतन की आबरू और राजनीति में कोई रिश्ता है,यह आपने समझा.....!!??क्या आज-तक आप यह समझ पाए हो कि भारतमाता को आपने अपनी रखैल बना कर रख दिया है....??क्या आप यह समझते हो कि इस भारतमाता के अंग-प्रत्यंग को आप चूसते जा रहे हो....??क्या आप जानते हो कि आपने अपने घर को भरने के लिए एक समूची पीढ़ी को  लालची-स्वार्थी-काहिल और बेईमान बना डाला है....??अरे ओ महान लोगों.....आपने इस देश का क्या कर डाला है.....क्या आपको पता भी है....??काहिल-भ्रष्ट-बेईमान-लम्पट-लालची और स्वार्थी  ठेकेदार....!!काहिल-भ्रष्ट-बेईमान-लालची-लम्पट और स्वार्थी  इंजीनियर काहिल-भ्रष्ट-बेईमान-लालची-लम्पट और स्वार्थी डॉक्टर...!!,काहिल-भ्रष्ट-बेईमान-लम्पट-लालची और स्वार्थी  शिक्षक...!!काहिल-भ्रष्ट-बेईमान-लम्पट-लालची और स्वार्थी स्टुडेंट.....!! काहिल-भ्रष्ट-बेईमान-लम्पट-लालची और स्वार्थी  अफसर...!!काहिल-भ्रष्ट-बेईमान-लम्पट-लालची और स्वार्थी एन.जी.ओ.....!!काहिल-भ्रष्ट-बेईमान-लम्पट-लालची और स्वार्थी  राजनीतिक कार्यकर्ता,जिनका अभीष्ट केवल और केवल आपकी सेवा-चाकरी और आपका गुणगान...!!और काहिल-भ्रष्ट-बेईमान-लम्पट-लालची और स्वार्थी वो तमाम तरह के लोग,जो आपके तमाम तरह के स्वार्थों को सिद्ध करने को ही अपना सबसे बड़ा कर्त्तव्य समझते रहे.....!!??
            अरे वाह रे ओ महान नेताओं....!!इस "मादरे-वतन"की सेवा हेतु यह कितनी सुन्दर फ़ौज आपने तैयार की है ना....आपने !!??लाखों-लाख की तादात में इन तमाम तरह के अकर्मण्य लोगों की इस फ़ौज को जन्म देकर क्या शान का काम किया है ना....!!??देश की इस मासूम जनता का अरबों रूपये का टैक्स आप इन अकर्मण्य लोगों में बाँट-बाँट कर वतन की जिस तरह की और जो सेवा करवा रहे हो ....सो यह जनता देखती आ रही है...!!??.....तो अब बताओ आप कि अब इस वतन का क्या करना है.....??जिन गरीब-गुर्गों के नाम पर अब तक योजनायें बना- बनाकर उनके हिस्से के अरबों-खरबों-महाशंखों रुपये अब तक जो आप सब मिलकर हजम कर चुके हो...और अब भी डकार नहीं लेते...!!...तो फिर ओ इस महान वतन के वतन के महान नेताओं अब यह तो बताओ कि इन कंगाल-भूखे-नंगे गरीब-गुर्गों को बंगाल की खाड़ी में फेंकना है या अरब सागर में....!!वैसे हिंद महासागर भी बहुत दूर तो नहीं ही है ना ....!!??
             मेरे/हमारे/हम सबके प्यारे-प्यारे महान अरबपति नेताओं जिस वतन की धरती की मिटटी का  आप सब खाते-पहनते आये हो...उस वतन की मिटटी का आपने जितना मान रखा है....उससे आपकी संसद कभी कलंकित नहीं हुई...??!!वतन का भाल पिछले हज़ार सालों से वैसे ही नीचा था....और पिछले चौंसठ बरसों में आपने उसे जितना नीचा और शर्मसार बनाया है उससे भी आपकी संसद कभी कलंकित नहीं होती...भारत माता के आँचल से और उसके गर्भ से अकूत धन-संपदा आप सब मिलकर आज तन बेहया होकर लूट-लूट कर खा रहे हो तब भी आपकी संसद कलंकित नहीं हो रही....मगर "सा..."कोई ओम पूरी कुछ बोल दे....कोई रामदेव कुछ कह दे...कोई अन्ना लोकपाल की मांग कर दे....या कोई हरविन्दर कोई एक अरबपति धंधेबाज नेता को थप्पड़ मार दे तो यही संसद...जो देश के बड़ी-से-बड़ी शर्मिन्दगी पर नहीं पसीजती ...??!! देश की आबरू लूट जाने पर भी नहीं कलंकित नहीं होती...!!??किसी पडोसी देश द्वारा इसकी भूमि हड़प लिए जाने पर भी द्रवित नहीं होती...!!??यहाँ तक कि संसद में बैठे अपराधियों और उनके द्वारा किये/करवाए जा रहे अपराधों पर भी कलंकित नहीं होती...!!??...एक क्षण-मात्र  में कलंकित हो जाती है कि संसद के तमाम माननीय सदस्यों का अपना महान और गर्व भरा चेहरा या मस्तक छिपाने को ठैया ही नहीं मिलता..!!??ऐसी महान संसद को शत-शत नमन है.....ऐसे महानतम संसद सदस्यों को हम-सब आम जनता का कोटि-कोटि प्रणाम !!??
             और अंत में....यही कि अन्ना-रामदेव याकि इस तरह के तमाम अ-सामाजिक लोग,जो खुद को देश का बड़ा पैरोकार समझते हैं...और ऐसा समझते हैं कि देश-हित में वही एक सही हैं...अपनी इस भ्रान्ति को यह आलेख देखते ही सुधार लें...क्योंकि जो भी लोग इस देश के काहिल-भ्रष्ट-बेईमान-लम्पट-लालची और स्वार्थी लोगों के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं....दरअसल वो लोग खुद ही देश द्रोही हैं....और इसके मद्देनज़र या तो वे खुद ही यह देश छोड़कर चलें जाएँ या फिर जल्द ही किसी अदालत द्वारा फैसला सुनाकर ऐसा ही कुछ किया जाने वाला है...!!और यह भी कि कांग्रेस ही इस वतन की सच्ची रखवाली है...आज़ादी के पूर्व से ही वो इस वतन की सेवा अपने पूरे "तन-मन-धन"से करती आई है....सो अपने पूर्वजों के पुण्य का फल भी तो उसी के वंशजों को मिलना चाहिए ना....!!तो इस महान वतन के ओ तमाम भीखमंगे लोगों आपसे इस नाचीज़ की मार्मिक अपील है कि आप  इस कांग्रेस के वर्तमान तारणहार वंशज इटली-पुत्री के महान सुपुत्र संत-शिरोमणि "श्री-श्री-श्री राहूल गांधी जी महाराज" को ही अपना अगला प्रधान-मंत्री बनाना !!और कभी किसी ऐसे व्यक्ति को दंड देने के बारे में सोचना भी मत जिन्होंने तुम्हें इस भीखमंगाई के हालात में पहुंचाया है जय-हिंद....!!

मंगलवार, 22 नवंबर 2011

एयरलाइंस क्षेत्र में सरकारी साजिश ,किंगफिशर बेल आउट के दौर में दम तोड़ता किसान ..


पिछले दिनों किंगफिशर एयरलाइंस को तेल कंपनियों ने बकाया राशी के भुगतान न करने के कारण, तेल देना बंद कर दिया और कंपनी को कई उड़ाने रद्द करनी पड़ी..हालत यह है की आज कंपनी पर लगभग ७००० करोड़ रूपये का कर्ज है या दूसरे शब्दों में कहे तो किंगफिशर एयरलाइंस  दिवालिया होने के कगार पर पहुच गयी है..लगभग ७० उड़ाने रोज रद्द हो रही है और कई कम आवाजाही के मार्गों पर कम्पनी ने अपना सञ्चालन स्थगित कर दिया है..अब प्रश्न ये है की, क्या कंपनी रातो रात दिवालिया होने के कगार पर पहुच गयी या प्रबंध तंत्र को पहले से इसकी जानकारी थी और जानबूझ कर कंपनी ने आने वाली परिस्थितियों के लिए जरुरी कदम नहीं उठाये..आखिर घाटे में एयरलाइंस को चलाकर दीवालिया बनाने की करार तक आने देने के पीछे क्या कारण रहे?
क्यूकी व्यापार की दुनिया के बादशाहों में एक विजय माल्या बिना किसी फायदे के ये एयरलाइंस के घाटे का सौदा मोल लेंगे आसानी से गले नहीं उतरता..
अब हम इस दीवालिया कंपनी के मालिक विजय माल्या के बारे में देखें तो अपनी रंगीन मिजाजी और आलिशान पार्टियों पर पानी की तरह पैसा बहाने वाला ये उद्योगपति हर साल खुबसूरत माडलों  के नंगे कैलेंडर बनवाने में करोडो रूपये उडाता है..इसके अलावा व्यापार जगत की ये हस्ती यूनाइटेड ब्रिवरीज नामक कंपनी का मालिक है और भारत में बिकने वाली हर दूसरी बियर इनकी फैक्ट्री से निकलती है..
कई स्टड फार्मो के मालिक विजय माल्या, आई.पी.एल में टीम का मालिकाना हक़ भी रखते हैं और भारत  और विश्व के सर्वाधिक धनी व्यक्तियों में एक गिने जाते हैं..
अभी हाल फ़िलहाल में इनका नया नवअन्वेषण था भारत में फार्मूला वन रेस .इस रेस टीम में इनका मालिकाना हक़ है.. प्रश्न भी यही से उठता है की एयरलाइंस के डूबने का सिलसिला पिछले साल से ही शुरू हो गया था मगर उड़ाने रद्द होने का सिलसिला,तेल कंपनियों का सप्लाई रोकने का फैसला फार्मूला १ के बाद ही क्यों आया..कहीं ऐसा तो नहीं की फार्मूला वन के आयोजन पर माल्या की एयरलाइंस के डूबने से संकट आ सकता था..शायद तकनीकी रूप से रेस हो भी जाती तो माल्या के ऊपर नैतिक दबाव होता..
अब माल्या की कंपनी को कर्जे से उबारने के लिए बेल आउट पैकेज की बात मीडिया और सत्ता के गलियारों में बहुत जोर शोर से उठाई जा रही है..मंत्रियों और बैंको की बैठको का दौर शुरू हो गया, की कैसे अरबो खरबों के मालिक माल्या की आर्थिक सहायता की जाये..थोड़े ही समय में इसके परिणाम भी आने शुरू हो गए, कंपनियों ने बिना बकाया वसूले तेल की सप्लाई शुरू कर दी..किंगफिशर के शेयरों में तेजी आनी शुरू हो गयी और परदे के पीछे मनमोहन जी के सिपहसालारों ने माल्या को मालामाल करने की तरकीबे भिड़ानी शुरू कर दी..शायद माल्या को प्रत्यक्ष रूप से १०-१५ हजार करोड़ की आर्थिक सहायता दे दी जाती मगर आने वाले चुनावों को देखते हुए, शायद कांग्रेस सरकार ने इस फैसले को टाल दिया है क्यूकी अब जनता के हिसाब मांगने की बारी है की सैकड़ो कंपनियों के खरबपति मालिक पर ये मेहरबानी क्यों????
अगर हम इस समस्या के  मूल में जा के देखें तो काफी हद तक ये बातें पूर्वनिर्धारित लग रही है..एक किंगफिशर एयरलाइंस के बंद हो जाने से विजय माल्या की आर्थिक सेहत पर ज्यादा से ज्यादा  उतना ही प्रभाव पड़ेगा जितना साल के अंत में एक बार आय कर कटने से एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति पर पड़ता  है..अगर इन परिस्थितियों को व्यापक स्तर पर देखें तो आज इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया विलय होने के बाद भी  दिवालिया होने के कगार पर है बाकी एयरलाइंस में भी इक्का दुक्का छोड़ दे तो सबकी हालत खस्ता है..एयरलाइंस के किरायों पर कोई विनियमन नहीं है..और सभी जानते हैं की ये सारी परिस्थितियां सरकार द्वारा प्रायोजित गलत नीतियों के कारण उत्पन्न हुई है..यहाँ ध्यान देने योग्य बात ये है  एयरलाइंस  सेक्टर में विदेशी कंपनियों की पैठ अभी तक नहीं बनी है..
ये वही मनमोहन सिंह जी है जिनकी १९९१ में शुरू की गयी नीतियों के कारण आज हमारे घर के तेल,साबुन,टीवी से लेकर कार,पंखा या दैनिक प्रयोग की हर बस्तु बिदेशी हो गयी यहाँ तक की अब सब्जियों को भी बिदेशी हाथो में दिया जा रहा है बेचारा किसान सल्फास खा कर मर रहा रहा है..खैर हिन्दुस्थान में मरता किसान ही है, कोई इटली का  युवराज नहीं इसलिए ये बड़ी बात नहीं हमारे प्रधानमन्त्री  जी के लिए..
जो बात बड़ी है वो ये की तेल से लेकर कार  बेचने वाली बिदेशी कम्पनियाँ अब तक एयरलाइंस  सेक्टर में कब्ज़ा क्यों नहीं कर पाई??यही माननीय मनमोहन जी और सोनिया जी की चिंता का विषय है..विशेषकर यूरोप की कम्पनियाँ हिन्दुस्थान के इस सेक्टर पर नजर गडाए बैठी है.. अब मनमोहन मंडली से अच्छा राजनैतिक सहयोग कही मिलेगा नहीं तो सारी एयरलाइंस को घाटे में दिखा कर बिदेशी एयरलाइंस  को भारत में आने का मौका दिया जाये और इस बाजार पर भी बिदेशी कब्ज़ा..बेशक इन सब के लिए कुछ मेहनताना हर बार की तरह कांग्रेस नेताओं के स्विस अकाउंट में भेज दिया जायेगा..इस संशय को इंडियन एयरलाइंस  के लगातार घाटे और मनमोहन के मंत्रियों की तिहाड़ यात्रा से और भी बल मिलता है..
इन सब के बिच एक सामान्य मध्यमवर्गीय आदमी मनमोहन और सोनिया जी की सरकार के लिए एक स्वयं ही एक उत्पाद बन कर रह गया है जिसका इस्तेमाल फायदे और मूल्य संवर्धन के लिए आवश्यकता अनुसार कर लिया जाता है...नोयडा में किसानो से जमीन ली जाती है औद्योगीकरण और रोजगार के नाम पर पर  वहां विजय माल्या की कारे दौडाई जाती है और राबर्ट वढेरा जैसे खरबपति उस पर दांव लगाते हैं..सिर्फ कुछ गिने चुने खरबपतियों की ऐयाशी  के लिए किसानो से जमीन ले कर रेसिंग ट्रैक बनाया जाता है और किसान भूख के मारे आत्महत्या करता है...अगर अपना हक मांगने लायक जान बची रहती है तो विश्व बैंक और यूरोप की पालतू सरकार गोलियां चलवाकर उनका मुंह बंद कर देती है...हिन्दुस्थान में अगर गरीब किसान या एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति  दिवालिया होता है तो उसके सामने आत्महत्या का ही रास्ता होता है मगर विजय माल्या जैसा खरबपति दिवालिया हुआ तो अरबो खरबों ले कर हमारे प्रधनमंत्री जी उसके चौखट पर पहुच जाते हैं.अगर ये बेल आउट हमारे प्रधानमंत्री जी आत्महत्या करते किसानो पर खर्च करते तो मैं यकीन से कह सकता हूँ की हिन्दुस्थान में कोई भी किसान आत्महत्या नहीं करता..शायद ये बेल आउट उस मध्यमवर्गीय रोजगार करने वाले व्यक्ति का भी कुछ भला कर सकता है जिसे रोज महंगाई और पेट्रोल की बढ़ी  कीमतों से जूझना पड़ता है...मगर सामान्य जनता पर महंगाई के  बढे बोझ को सही ठहराने  के लिए मंत्रियों की फ़ौज खड़ी हो जाती है और वही फ़ौज माल्या जैसे उद्योगपतियों के लिए हमारे टैक्स का पैसा पानी की तरह बहाने में एक बार भी विचार नहीं करती..इससे इस आशंका को समर्थन मिलता है वर्तमान सरकार निजी हितों के कुछ गिने चुने भ्रष्ट उद्योगपतियों के साथ गठबंधन कर के खुली लूट कर रही है...

एयरलाइंस  सेक्टर की ये उठापठक भी इसी लूट का हिस्सा है..कोई आश्चर्य नहीं की जैसे इटली के कई बैंको को हिन्दुस्थान में अकस्मात प्रवेश दे दिया गया आने वाले दिनों में सरकारी एयरलाइंस बेच दी जाये , इटली और यूरोप की विमानन कंपनिया भारतीय आकाश पर कब्ज़ा किये बैठी हों और हमारे प्रधनमंत्री जी उदारीकरण से होने वाले फायदे का दिवास्वप्न दिखा रहे हों....