मंगलवार, 28 अगस्त 2012

चिंता-ता चिता-चिता कोई चिंता नाय !!

[1]
सुनो....सुनो.....सुनो....सुनो....
सब कोई मेरी खामोशी को सुनो 
मैं कुछ नहीं बोलूंगा 
चाहे तुम सब कुछ भी कहो 
चाहे तुम मुझे हरामी कहो 
या कहो कुछ भी और 
कि मैं चोरों का हूँ सरदार 
चाहे कहो कि मैं हूँ मक्कार 
तुम चाहो तो मुझे 
देश द्रोही भी कह सकते हो 
मगर मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगा 
क्योंकि अगर मैंने कुछ भी कहा 
तो हो जायेंगे बहुत जने बेनकाब !!
मेरी जबान अगर खुल गयी तो 
निकल जाएगी कईयों की जान 
इसीलिए 
मेहरबान-कदरदान-मेजबान-मेहमान 
आप इस नाचीज़ को चाहे जो कह लो 
बन्दा मुस्कुराता ही रहेगा 
ना आपको कुछ कहेगा ना मैडम को 
जो जैसा चल रहा है वैसा ही चलेगा 
कुछ ना बदला है ना बदलेगा 
आप सब भी ऐसा ही कुछ करो ना 
मेरी तरह निर्लिप्त हो जाओ ना सब कुछ से 
फिर देखना आप सब कि कैसी शान्ति होती है 
आप सब शान्ति ही चाहते हो ना ?
घबराओ मत,हम जो कुछ भी कर रहे हैं 
जल्द ही आप सब देखना 
मरघट जैसी शान्ति छा जाएगी सब तरफ !! 
[2]
तो बोलो,
चिंता-ता चिता-चिता कोई चिंता नाय 
चिंता-ता चिता-चिता कोई चिंता नाय !!
दुनिया बड़ी खिलाड़ी,हम रह गए अनाडी
काहे को लेते हो टेंशन ओ मेरे प्यारे भाय 
जितना भी लूटे ये देश को तो लूट लेने दो ना 
वैसे भी तो खायेगा कोई,इनको ही खाने दो ना
जब कुछ भी नहीं है तुम सबकी अपनी औकात 
तब काहे को करते हो हल्ला,मरते तो हो तुम बेबात 
सब मिल के नाचो गाओ और सारे मिल के बोलो 
चिंता-ता चिता-चिता कोई चिंता नाय 
चिंता-ता चिता-चिता कोई चिंता नाय !!
गाडी में चलते हैं सिकंदर,हम रह गए हैं बन्दर 
मोटे चूहे खोदे देश को और हम तो हैं छुछुंदर
हम होते जाते भीतर और सारा माल उनके अन्दर 
चाहे वो खोदे खाने,या बेचें वो स्पेक्ट्रम 
जब है ही नहीं कुछ भी आवाज़ में तुम्हारी दम 
काहे को भईया फोड़ते हो नारों के ये फालतू बम
सारे ही आओ मिल कर सब आज मौज मनाओ 
देश की इस हालत का तुम भी मजाक उड़ाओ
चिंता-ता चिता-चिता कोई चिंता नाय  
चिंता-ता चिता-चिता कोई चिंता नाय !!
आओ ओ मेरे बच्चों इक कथा तुम्हें सुनाऊं 
परियों के लोक में आज मैं तुम्हें ले जाऊं 
क्या करोगे तुम भी जानकर अपने वतन की हालत 
तुम भी बनाते रहना बस अपनी खुद की ही सेहत
मरती हो गर इंसानियत तो मर जाने दो तुम उसको 
डार्लिंग तुम्हारी बैठी है बस किस करो तुम उसको 
पापा-मम्मी तुम्हारे,तुम्हारा कैरियर आगे बढाएं
कोई दुल्हन या दामाद लाकर परिवार आगे बढाएं 
तुम भला कौन हो वतन के और क्या है वतन तुम्हारा 
और है भी क्या भला कुल मिलाकर इतिहास हमारा 
आओ चलें करें कोई पार्टी रेव और नंग-धडंग गायें 
और जो करे हमारी निंदा उसे गोली मार गिराएं
चिंता-ता चिता-चिता कोई चिंता नाय  
चिंता-ता चिता-चिता कोई चिंता नाय !!
सोचता तो हूँ कि एकांगी सोच ना हो मेरी,किन्तु संभव है आपको पसंद ना भी आये मेरी सोच/मेरी बात,यदि ऐसा हो तो पहले क्षमा...आशा है कि आप ऐसा करोगे !!

सोमवार, 13 अगस्त 2012

सिर्फ महिला ब्लोगर्स के लिए [ ONLY FOR WOMAN BLOGGERS]


सिर्फ  महिला ब्लोगर्स के लिए [ ONLY FOR WOMAN BLOGGERS]          

ये मंच है केवल महिला ब्लोगर्स के लिए .आप साझा करें अपने जीवन  के अनुभव -सुखद -दुखद ,ब्लोगिंग से सम्बंधित अनुभव ,समस्याएं .साथी महिला ब्लोगर्स से करें अपनी परेशानी साझा .हम सब मिलकर निकालें  हल  अपनी जैसी  सभी  महिला ब्लोगर की   समस्या का .तो देर किस बात की ?जुड़ जाएँ इस मंच से आज और अभी .
                              शिखा कौशिक 

मंगलवार, 7 अगस्त 2012

कृष्ण जन्म अष्टमी पर शुभकामनाएं |


कृष्ण जन्म अष्टमी पर शुभकामनाएं | 

जसोदा तेरा लल्ला कितना सलोना है ,
पालने में झूलता चंदा सा खिलौना .
कान्हा को बाँहों का झूला झुलाएंगे ,
मीठी मीठी लोरी सुनाकर सुलायेंगें ,
ममता की बरखा से उसको भिगोना है .
जसोदा तेरा लल्ला ....
ले गोद  कान्हा को गोकुल घुमाएंगे ,
गैय्या दिखाएंगें उपवन घुमायेंगें ,
मखमल सा कोमल ये गोकुल का छौना है .
जसोदा तेरा लल्ला .....

कहते हैं सब ये जग का खिवैय्या है ,
हमारे लिए तो बस ये कन्हैय्या है ,
ये ही हमारा रत्न-धन-सोना है .
जसोदा तेरा लल्ला ....
                         शिखा कौशिक 

शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

ये फुल-टू-फटाक मस्ती लेता हुआ वतन....!!


मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!अपनी चिंताओं को इस तरह प्रकट कर रहे हैं,अगर आपको लगे कि यह वाजिब है तो हमें जगह दें ,हम आपके आभारी रहेंगे !!
ये फुल-टू-फटाक मस्ती लेता हुआ वतन....!!
              अन्ना-टीम के अनशन समाप्त होने के बाद शायद अब आगे अनशन जैसे कार्यक्रमों की संभावना कम ही दिखाई पड़ती है !,अनशन समाप्त करने की वजह प्रकट में चाहे जो भी बतायी जाए मगर अप्रकट में बहुत सारे रहस्य हैं,जिनका प्रकटीकरण अब शायद कभी नहीं हो,ऐसी संभावना भी बनती है,सबसे बड़ी बात तो यह है कि असंवेदनशील-दम्भी-हरामी और चाटुकारों से घिरे शासकों के सम्मुख बीन बजाने का फायदा भी क्या ?
               मगर यहीं पर आगे चीज़ों के उग्र रूप धारण कर लेने की संभावना भी बनती दिखाई पड़ती है !मोटी-सी बात यह है कि आज की परिस्थितियों में साधारण से साधारण चीज़ों के लिए भी,जनता को अपने निम्नतम हक़ के लिए भी सड़क पर आने को विवश होना पड़ता है तो शासकों की यह अंधेरगर्दी भला कब तक चल सकती है ?
               इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि टीम-अन्ना जैसी प्रतिभाशाली लोगों की टीम ने अब तक सिर्फ एक सवाल भ्रष्टाचार को लेकर ही यह आन्दोलन खडा किया है,जिससे शायद शहर की जनता के सिवा किसी को कोई सरोकार नहीं है,बल्कि इस आन्दोलन के चलते अन्य बहुत सारी जन-उन्मुखी समस्याएँ और देश के अन्य कुछ हिस्सों में अन्य कुछ लोगों द्वारा किये जा रहे बहुत से अत्यंत महत्वपूर्ण आन्दोलन भी हाशिये पर डाल दिए गए हैं !
               टीम-अन्ना को अब यह मंथन करना ही होगा कि अगर सच में वो एक राजनीति-दल होने की राह में है तो देश में बेशक भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या है मगर साथ ही अन्य बहुत सारे प्रश्न भी हैं और वो प्रश्न इतने ज्यादा अहम् हैं कि ये सारे प्रश्न एक साथ ही अपने हल किये जाने की मांग करते हैं,किसानों-मजदूरोंऔरतों-बच्चों और ऐसे ही आम लोगों से सम्बंधित ऐसे हज़ारों-हज़ार सवाल हैं जो अपने अति-शीघ्र हल किये जाने की तलाश में हैं .
               अब एक प्रश्न मीडिया का भी है,विदेशी पूँजी की चकाचौंध में डूबा इतराता और अपनी पीठ आप ही ठोकता यह मीडिया आज सबसे सिरफिरा दिखाई देता है,भले ही इस मीडिया ने सैंकड़ों पर्दाफ़ाश किये हों मगर सत्ता के साथ इसके गठजोड़ को कौन नहीं जानता है और इस सांठ-गाँठ से यह क्या-क्या हासिल करता है अगर सच में जनता इसे समझ-जान जाए तो आम जनता इसे भी किसी दिन ठोक डालेगी,समझने वाले लोगों ने तो दरअसल इसका विश्वास करना भी छोड़ दिया है क्योंकि अब वो जानते हैं कि बहुत सारे पर्दाफाशों के बाद बहुत सारी बंदरबांट हुआ करती है और इस बंदरबांट के पूर्ण होते ही वही मीडिया अपना मुहं ऐसा सीम लेता है जैसे इसने कभी मूंह खोला ही नहीं था !मगर अब यह रहस्य भी अब बहुत छिपा नहीं रह गया है !
               बीजिंग ओलिम्पिक के बाद इस ओलिम्पिक तक हम ना सिर्फ खेलों में बल्कि तमाम चीज़ों में चीन नामक एक पडोसी देश के उभार को देखते आ रहे हैं !कल तक भारत से भी फिसड्डी यह देश अगर आज विश्व का सिरमौर बनने जा रहा है,बल्कि तकरीबन बन ही चुका है तो इसके पीछे ऐसा क्या है,ऐसी कौन-सी बात है जिसने सवा-डेढ़ अरब लोगों का बोझ ढ़ोते एक भूमि को सबसे आगे ला खडा कर दिया है !!और मज़ा यह है कि इसके पीछे कोई रहस्य नहीं है दोस्तों बल्कि सिर्फ एक वजह है मेहनत-मेहनत और मेहनत !!सिर्फ कार्यकुशल कर्मठता ही बेहतर परिणाम दे सकती है मगर इसके ठीक उलट हम क्या हैं काहिल-नकारा....मेहनत से जी भरकर जी चुराने वाले,सिर्फ सपने देखने और ज़रा-ज़रा सी सफलता पर फूल कर कुप्पा हो जाने वाले एक बेवजह की भीड़.....धरती पर एक बेवजह का बोझ....ज़रा अपने इस फालतुपने पर क्षण भर के लिए ही सही,मगर विचार करें हम एकाध करोड़ मीडिया से जुड़े हुए और विचारों में खुद को बड़े तीसमार खाँ समझते हुए लोग !!
                  फिलहाल टी.वी-इंटरनेट-मोबाइल-आईपॉड और अन्य एप्स के चटखारे लेता हुआ कुछ करोड़ मध्यवर्गियों का यह वतन फुल-टू-फटाक मस्ती की नींद सो रहा है,बिना यह जाने और समझे हुए कि बाकी के अरबों लोगों के साथ दरअसल क्या हो रहा है !जिस किसी भी दिन यह जागेगा और और उन अरबों प्रताड़ित लोगों के दुःख-दर्द से खुद को जोड़ेगा तभी कोई सच्ची और संभावना नज़र आती है और एक बात बता दूं अभी तो यह नज़र ही नहीं आ रही !इसलिए आन्दोलनों की परिणिति ऐसी हुई जा रही है !!
                बिना किसी दिशा के कुछ भी करना एक बहुत बड़ा पागलपन है और यह बेतुका पागलपन सबसे पहले तो यहाँ सत्ता करती है,और उससे भी बड़ा उसका विरोध करने वाले जबकि सबका स्वार्थ महज एक है कि शाम-दाम-दंड-भेद किसी भी प्रकार से अपना घर भरना !!और जब जनता को बार-बार "........"बनाकर सिर्फ सरकार बदलना भर आपका मकसद हो तो जनता आखिर कब तक खुद को ठगा जाता महसूस करके भी आपका साथ देगी....मज़ा तो यह है कि सौ अरब लोगों को तो यह तक मालूम नहीं है कि विभिन्न सरकारों द्वारा उनके लिए तरह-तरह की योजनायें लागू हैं और वो पूरी-की-पूरी या कुछ या बहुत सारे अंशों में कुछेक हजार लोगों द्वारा हाइजैक कर ली जा रहीं हैं इसमें सत्ता-दलाल-स्वयंसेवी संगठन-मीडिया और कुछ महत्वपूर्ण लोग पूरी तरह से लिप्त हैं और मैं यह सोच कर चिंतित हूँ कि जब जनता को इस भयानक "घोटाले"(इसके अर्थ को पाठक कई गुणा कर लें !!)का पता चलेगा तब वह इस सबमें लिप्त इन सब लोगों का क्या हश्र करेगी !!??

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सोचता तो हूँ कि एकांगी सोच ना हो मेरी,किन्तु संभव है आपको पसंद ना भी आये मेरी सोच/मेरी बात,यदि ऐसा हो तो पहले क्षमा...आशा है कि आप ऐसा करोगे !!

गुरुवार, 2 अगस्त 2012

आज लिखने-कहने को कुछ भी नहीं है.....

आज लिखने-कहने को कुछ भी नहीं है......और कुछ है भी भीतर से कुछ भी उगलने का मन भी नहीं है....मन आज खट्टा है.....कल से ही हो चूका था 
.....अन्ना-आन्दोलन की समाप्ति की घोषणा ने लाखों-करोडों लोगों की आशाओं पर तुषारापात कर दिया है,इससे यह भी साबित है कि फेस-बुक पर हमारे टायं-टायं करने भर से हम किसी आन्दोलन का हिस्सा नहीं बन सकते....जिस किसी भी जगह पर हम हैं,उसके समर्थन में सड़क पर आ जाने पर ही वह आन्दोलन सफल हो सकता है....जो सरकार या प्रशासन सामान्य-सी नागरिक सुविधाओं को सुचारू रूप से जारी बनाए रखने के लिए अपने नागरिकों का आन्दोलन करने या सड़क पर उतरने का इंतज़ार करता है.....वो भ्रष्टाचार जैसे अपने से जुड़े अभिन्न मुद्दे पर महज कुछेक हज़ार लोगों के खड़े हो जाने पर जागेगा....!!??ऐसी अपेक्षा करना हमारी मूर्खता है.....जिसका परिणाम सामने है.....अब आगे हमारे सामने बस एक ही चारा है........करो.....या मरो... ...!! 

सोमवार, 30 जुलाई 2012

हमारे लिए इस दौर के लिए कुछ सबक.....आमीन.....!!


हमारे लिए इस दौर के लिए कुछ सबक.....आमीन.....!!
बस एक बात बता दे मेरे पगड़ी वाले भाई.....अगर तूने कोई करप्शन नहीं किया है तो ये थेथरई काहे की....लोकपाल ला दे ना.....इसमें दिक्कत क्या है भला.....जैसे मिलजुलकर राष्ट्रपति दे दिया...वैसे ही एक लोकपाल भी दे दे.... !!
एक और बात बता मेरे पगड़ी वाले भाई.....क्या जंतर-मंतर पर बैठे लोग पागल हैं....??वहशी हैं....??दरिन्दे हैं....कि राक्षस.....??....या फिर निजी रूप से तेरे दुश्मन.....??......यार क्या तू और तेरी टीम ही देश की सच्ची खेवनहार है.....??बाकी सब चोर हैं....??अरे यार.....तू इतना बड़ा पढ़ा-लिखा अर्थशास्त्री है.....काहे को ये निर्लज्जता भरी बेईमानियाँ कर रहा है यार....??.....जब सारा देश पुकार रहा है....अन्ना....अन्ना.....अन्ना.....और तू और तेरी टीम शर्म-हीन बयान दे रही है.....अरे यार कुछ तो रहम करो....देश पर नहीं तो खुद पर ही....उम्र के अंतिम पायदान पर भी क्या तुम लोगों को बुद्धि नहीं आती....!!??
एक सवाल मन को हमेशा मथता रहता है...कि जो दर्द वतन के लिए सबको होता है......वो भारत के रहनुमाओं को कभी भी क्यूँ नहीं होता....क्या वो मिटटी खाते हैं कि टट्टी.....!!?? 
अब एक बात आप सब बताईये ना दोस्तों....अगर अगर आपके पास ढेर सारा पैसा हो मगर आपके कामों के कारण आपके वतन की संसार में कोई इज्ज़त ही ना हो तो आप क्या ज्यादा पसंद करेंगे.....अपना पैसा.....या वतन की इज्ज़त ?? 
मैं अन्ना बोल रहा हूँ.....केवल सत्ता ही नहीं.....हम सब भी अपने-अपने स्तर पर तरह-तरह की हरामखोरियाँ-बेईमानियाँ और करप्शन करते हैं.....और यह समाज के प्रत्येक स्तर पर होता है.....आन्दोलन के इस चरण में अपने भीतर झाँक कर हम सब अपने भीतर देखकर अपने बारे में भी सोच लेन कि हममें से कौन कितना बड़ा कमीना है !!
आप ऐसा मत कहिये कि मैं आपलोगों के प्रति कुछ कड़े अथवा असंसदीय शब्दों का उपयोग कर रहा हूँ....सच तो यह है कि जब तक हम खुद के प्रति कड़े नहीं हो जाते.....तब तक धरती पर कोई भी आन्दोलन सार्थक नहीं हो सकता !!
सिर्फ एक मेले या मीनाबाजार की तरह कहीं किसी जगह विशेष पर भारी भीड़ कर देने से कुछ हल नहीं होने को....अगर हम नागरिक भी भ्रष्ट हैं तो लोकपाल तो क्या उसका बाप या उसके बाप का बाप भी इस देश का उद्धार नहीं कर सकता......!!
एक बात जान लीजिये मेरे देश के इज्ज़त-परस्त नागरिकों.....आज हम जो सत्ता को गालियाँ दे रहे हैं.....दिए जा रहे हैं....मगर हम खुद भी कौन से ऐसे पाक-साफ़ हैं....और ऐसा कौन सा काम हमने किया है जिससे हमारा खुद का कोई देश-प्रेम या वतनपरस्ती साबित होती है....??खुद हरामी रहकर दूसरों को उपदेश देने वाले हम....कल को सोचिये कि हमारे बच्चे ही हमसे पूछ बैठे कि "क्या पापा आप भी....??मैंने तो सोचा भी नहीं कि आप भी इन देश-द्रोहियों और हरामियों की तरह कमीने हो.....!!??".....दोस्तों सबसे पहले खुद से कुछ खड़े कीजिये...आप खुद समझ जायेंगे कि आपमें किसी आन्दोलन में शरीक होने कि योग्यता है भी कि नहीं....!!  
बड़ा मज़ा आ रहा है ना आन्दोलन करने में......मगर अगर सत्ता ने लाठियां बरसाई.....तब देखेंगे कि किस्में कितना दम है....!!दोस्तों इस देश को दरअसल आज़ादी कभी मिली ही नहीं थी....सिर्फ गोरे अंग्रेजों द्वारा काले अंग्रेजों को सत्ता का हस्तांतरण भर हुआ था....इसलिए अंग्रेजों के बनाए हुए काले कानूनों को ढोती हुईं तमाम सरकारें आज तक जनता के साथ हर स्तर पर हैवानियत भरा नंगा खेल खेलती रही !!
दोस्तों !बहुत सारे लोग इस आन्दोलन में शरीक होकर अपने सारे पुराने पापों को धो लेना चाहते हैं....वे इस आन्दोलन में शामिल होकर गंगा नहा लेने का लाभ ले लेने की फिराक में हैं....ऐसे लोगों को भी पहचानिए....और उन्हें मार भगाइए....वरना इस आन्दोलन की धार कुंद पड़ जायेगी....!!
और अंत में यही कि एक सच्चे-अच्छे एवं दुर्भावना-हीन समाज को गढ़ने के लिए खुद के भी सच्चे समर्पण की आवश्यकता होती है....ऐसा कभी भी नहीं हो सकता कि हम तो लालच-फरेब-दुर्भावना-उंच-नीच-धर्म-सम्प्रदाय की अपवित्र भावनाओं से भरे हों....और एक अच्छे समाज का बेतुका सपना देखते रहें.....हमेशा एक बात याद रखिये.....कि जिन हथियारों से आप लैस हो....वैसा ही समाज आप गढ़ पाओगे...जय-हिंद....वन्दे-मातरम्.....सत्यमेव-जयते.....!!!  
सोचता तो हूँ कि एकांगी सोच ना हो मेरी,किन्तु संभव है आपको पसंद ना भी आये मेरी सोच/मेरी बात,यदि ऐसा हो तो पहले क्षमा...आशा है कि आप ऐसा करोगे !!

रविवार, 29 जुलाई 2012

शायद अब हम कुछ भी नहीं बचा सकते.....!!??


शायद अब हम कुछ भी नहीं बचा सकते.....!!??
               बहुत अजीब हालत है मेरे मन की !!बहुत कुछ लिखना चाहता हूँ, कहना चाहता हूँ,गाना चाहता हूँ,मंचित करना  चाहता हूँ....पल-दर-पल आँखों के सम्मुख बहुत कुछ घटित होता रहता है,जो मानवता को शर्मसार और मुझे व्यथित करता रहता है,जिससे पीड़ित होकर खुद को व्यक्त करना चाहता हूँ मगर साथ ही कुछ भी लिखने में लगने वाले वक्त की अपेक्षा अपने लिखे जाने के "अ-परिणामों " पर विचार करता हूँ तो अपने लिखे हुए को बिलकुल "अ-सार्थक " पाता हूँ !!और इस कारण लेखन-कर्म मुझे एकदम से बेकार और वाहियात कर्म लगने लगता है !!
               रोज जब भी नेट पर बैठता हूँ तब कई प्रकार की वेदना होती है मन में,जो कभी भी बिलकुल से निजी समस्याओं की वजह से नहीं,बल्कि अपने आस-पास घटने वाली दुःख देने वाली घटनाओं के कारण उपजती हैं,जिन्हें मैं मिटा नहीं सकता,मिटा भी नहीं पाता...और कुछ भी नहीं बदल पाने का यह गम मुझे सालने लगता है....जी घुटने लगता है...मगर कोई उपाय भी नहीं होता मेरे पास खुद को राहत देने का...क्योंकि गैर-तो-गैर अपने भी सीधी-सच्ची और सूरज या आईने की तरह साफ़ सी चीज़ तक को नहीं मानते....कोई भी व्यक्ति महज अपने आत्ममुग्ध अहंकार की वजह से अपनी गलतियों को नहीं मानता और ना सिर्फ वो अपनी गलती नहीं मानता बल्कि सीधा-साधा यह तक भी एलान कर डालता है की मैं ऐसा ही हूँ...मेरे साथ मेरी शर्तों पर निभाना है तो ठीक...वरना मैं चला....यह थेथरई धरती के तकरीबन समस्त मानवों में है,जो दरअसल धरती की सारी समस्याओं की जड़ भी है !!
               मगर किसी समस्या का दरअसल कोई ईलाज नहीं है क्योंकि आप किसी को उसकी गलतियों की माफ़ी के लिए विवश तो दूर,उसे इस बात को मानने को भी तैयार नहीं कर सकते कि उसने कोई गलती भी है !! और इस तरह सारी धरती पर ऐसी-ऐसी बातों पर बाबा आदम के जमाने से ऐसे-ऐसे झगड़े होते चले आ रहे हैं, जिनका की मानव जाति से दूर-दूर तलक का भी नाता नहीं होना चाहिए था,मगर ना सिर्फ ऐसा होता चला आ रहा है,बल्कि ऐसा ही होता भी रहना है,तो फिर मेरे या किसी के भी किसी भी माध्यम से खुद को अभिव्यक्त करने का कोई अर्थ भी है ??.....है तो भला क्या अर्थ है....??
               हर महीने की किसी तारीख पर जब  नेट का कनेक्शन ख़त्म हो जाता है तब कई दिनों तक इसी उधेड़-बून में रहता हूँ कि उसे फिर से भरवाऊँ कि ना भरवाऊँ....क्योंकि मेरा जो काम है वो सिर्फ मेरे कुछ भी व्यक्त-भर कर देने से खत्म नहीं हो जाता....दरअसल मेरा काम तो मेरे खुद को व्यक्त करने के बाद ही शुरू होता है।....जो कि कभी शुरू ही नहीं होता.....मेरे भीतर वेदना चलती रहती है....चलती ही रहती है !!
              इस वेदना का क्या करूँ मैं....लोगों की आत्मा को जगाने के प्रयास में लगी मेरी अभ्यर्थना....मेरा लेखन अपने किसी लक्ष्य को पाता नहीं प्रतीत होता ऐसे में फेसबुक का क्या करना है...ब्लॉगों का क्या करना है...या अन्य किसी भी अभिव्यक्ति का क्या होना है.....और जब कुछ होना ही नहीं है...तब मुझे भी भला क्यूं होना है......इन्हीं सब छिछली बातों में मैं झूठ-मुठ का वक्त शायद जाया करता आया हूँ,और शायद मरने तक ऐसा ही चलता भी रहेगा.....!!
             ऐसे में, मैं नहीं जानता कि मैं धरती पर अपने होने का क्या करूँ......मैं नहीं जानता कि हम सब धरती पर खुद को धोने के अलावा अपने होने से अपने होने का क्या साबित कर रहें,जबकि धरती आदमी से कलंकित है......और मानवता भी आदमी से शर्मसार है....!!??

भाई आमिर.....इन बुलंद हौसलों को सलाम....!!


         भाई आमिर.....इन बुलंद हौसलों को सलाम....!!
       एक बार फिर आमिर मैं तुम्हारे प्रोग्राम को देखते हुए कई बार भीतर ही भीतर रोता रहा,ये आंसू किन्हीं लोगों के जज्बे के,ईमानदारी के,हिम्मत के और अपने काम द्वारा समाज के सम्मुख एक मिसाल बन जाने वाली प्रेरणा के लिए थे,मैं रोया इस बात पर भी कि नौ साल का एक बच्चा,सब्जी बेचने वाली कोई औरत,कोई अशक्त-विकलांग व्यक्ति,तो कोई अशिक्षित व्यक्ति या कोई बूढ़ा-बुजुर्ग व्यक्ति किसी दर्द या समस्या को सामने पाकर बजाय हिम्मत हारने के उसके सामने कैसे दहाड़ कर खड़ा हो जाता है और वह समस्या या वो दर्द कैसे उसके सामने दुम दबाकर भाग खड़ी होती है !! मेरे सामने इससे भी बड़ी बात यह है कि कोई भी व्यक्ति किस प्रकार किसी विकट परिस्थिति के सामने आने पर अपने हौसले से उसे बौना साबित कर कर देता है और अपने कर्म के लिए वो जिस भी किसी क्षेत्र का चुनाव करता है उस क्षेत्र का कद भी विराट हो जाता है....आमिर इन बुलंद हौसलों को सलाम मगर एक सवाल मुझे अपने आप से भी है हम पढ़े-लिखे लोग जो अपनी जिन्दगी में टाईम नहीं है-टाईम नहीं का रोना रोता रोते है और अपनी जिन्दगी की अनगिनत समस्यायों को लोगों को गिनाते नहीं थकते....और इस तरह इन बहानों से खुद को अखिल/अखंड सामाजिकता और सरोकारों से बचाए रखते हैं.....ऐसे कार्यक्रमों से शायद हम जैसों को भी कोई दिशा मिले और हम जैसे समाज के लिए नकारा लोग भी समाज की इन जद्दोजहदों में खुद को शामिल कर खुद का ज़िंदा होना साबित कर सकें !!जय-हिंद....वन्दे-मातरम्...सत्यमेव-जयते !!    

http://rajivthepra.blogspot.in/ 
सोचता तो हूँ कि एकांगी सोच ना हो मेरी,किन्तु संभव है आपको पसंद ना भी आये मेरी सोच/मेरी बात,यदि ऐसा हो तो पहले क्षमा...आशा है कि आप ऐसा करोगे !!

बुधवार, 25 जुलाई 2012

''भारतीय नारी ''-अब फेसबुक पर भी !



''भारतीय नारी ''अब फेसबुक पर भी !
फेसबुक पर बनाया है ''भारतीय नारी ''का यह पेज .इसे लाइक करें व् अपनी रचनाएँ इस पर भी पोस्ट करें .
                   
                                  शिखा कौशिक 



रविवार, 22 जुलाई 2012

भाई आमिर,नमस्कार !!

भाई आमिर,नमस्कार 
               सत्यमेव जयते के सारे एपिसोड देख-देखकर द्रवित और उद्वेलित होता रहा हूँ,हर बार कुछ कहना भी चाहा,मगर रह गया.मगर अब देखा कि अगला एपिसोड आखिरी होगा तो सोचा कह ही डालूं !बड़े अनमने मन से कह रहा हूँ हालांकि,क्यूंकि बहुत कुछ बहुत सारे लोगों द्वारा कहा/लिखा जाता रहा है,कहा/लिखा जाता रहता है,कहा/लिखा जाता रहेगा....मगर बात उसके प्रभाव की है,उसके परिणामों की है और यह अगर हर बार शून्य ही रहना है तो कुछ भी कहना/लिखना या किसी भी माध्यम से कुछ भी व्यक्त करना है तो पागलपन या सिरफिरापन ही फिर भी यह सब कुछ सिरफिरों या पागलों द्वारा किया जाता रहेगा और उनमें से सदा मैं भी एक रहूंगा ही !!
               पता है आमिर,हमारी समस्याएं या उनकी जड़ कहाँ हैं ??हमारी हर समस्या की जड़ है हमारा देश के प्रति मानसिक रूप से विकलांग होना !!हम कभी नहीं समझते कि हमारा जीना और और अपने बाल-बच्चों के लिए कमाना-खाना भर ही हमारा जीवन नहीं है !हमारे जीने के लिए अपनाए जा रहे साधनों से अगर दूसरों की आजीविका या जीवन के अन्य प्रश्नों पर कोई गहरी मुसीबत आती हो तो यह एक समस्या है !!हमारे रहने के,जीने तौर-तरीकों से दूसरों पर कोई मुसीबत आती हो तो यह एक समस्या है,हमारी गन्दी आदतों से मोहल्ला/शहर/देश परेशान होता हो तो यह एक समस्या है !!
               पता है आमिर कि हमारे जीवन में हुआ क्या है ??हुआ यह है कि जीवन जीने की आपाधापी में हमने ना सिर्फ अपने परिवार को खोया है बल्कि अपने उन सारे जीवन सामूहिक जीवन मूल्यों को भी खोया है जिन पर हम नाज करते थे और अपनी सामूहिकता के कारण जीवन जीने की बहुत सारी उपयोगी चीज़ों को बचाए रखते थे,चूँकि बहुत सी चीज़ें हमारी आदतों के कारण सामूहिक थीं इसलिए उन्हीं चीज़ों के कारण हम अपने आप एक दूसरे से जुड़े हुए होते थे !अब इस जुड़ाव के कारण क्या-क्या होता है, सुनों.....हम एक-दूसरे के साथ बैठते हैं....गप्पें लडातें हैं...हंसी-ठठ्ठा भी हो जाया करता है....आपस में संवाद भी कायम होता है और बातों-बातों में एक-दूसरे की समस्याओं का भी पता चलता है और उन्हें साथ मिलकर हल करने का अवसर भी....तो अनजाने में ही पाल ली गयी आदतों का सूत्र हमें स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे के साथ जोड़े हुए रखता है !!
              अब जब बेतरह साधनों के जुगाड़ ने हमारी ऐसी कमर तोड़ डाली है कि हम अपने खून के परिवार के रिश्तों से ही मरहूम होते चले गए हैं तो फिर गाँव-मोहल्ले-देश और समाज की सामूहिकता की बात करना मजाक सा ही लगता है !!अब मज़ा यह है कि समस्याएँ तो समूह की ही हैं मगर समूह पूरी तरह से ना सिर्फ बिखर ही चुका है बल्कि एक-दूसरे को जानता तक नहीं है !!तो जो समूह (भीड़ कहूँ तो अच्छा होगा !!)एक दूसरे की शक्ल तक से परिचित नहीं है, वो एक-दूसरे की मदद तो क्या ख़ाक करेगा !!...तो हमारे समाज की समाज की सारी समस्याएं यही हैं !! मगर फिर भी एक बात थी जो हमें एक-दूसरे से जोड़े रखने में बड़ी मदद कर सकती थी,वो एक संभावना थी "देश-प्रेम !!"मगर देश-प्रेम को तो हम कब का गटर में डाल कर रोज उसपर अपना टट्टी-पेशाब डाल रहें हैं....तो फिर आमिर क्या संभावना है हमारे समूह की समस्याएँ आसानी से हल हो जायेंगी....!!
              फिर भी आमिर यह भी सच है कि इसी देश अलग-अलग जगहों पर बहुत सारे लोग निजी तौर पर बहुत सारे प्रयास करते आयें हैं और कर भी रहें हैं मगर मेरी दिल में तब भी इस बात पर दर्द भर आता है कि वो किन्हीं अन्य लोगों की प्रेरणा का कारण नहीं बन पाते या हमारे प्रशासन या हमारी सरकारें अपनी जनम-जनम की नींदों से नहीं जाग पाती कि हम हम सबके अलग-अलग या सामूहिक मानस में अवश्य ही कोई खोट है कि ऐसे बहुत सारे वन्दनीय लोगों के अनुकरणीय उदाहरण भी हमें जगा नहीं पाते....हमें उद्वेलित नहीं कर पाते....ये कैसी गड़बड़ है हमारे भीतर कि हम ना तो खुद ही कुछ करते हैं और ना ही किसी करने वाले का आगे बढ़कर साथ देते हैं.....और इस तरह सारे अनुकरणीय लोग   "अकला चलो रे !!" की तर्ज़ पर अकेले ही चले जा रहें हैं !!बस ईश्वर के लिए मेरे लिए राहत की बात यही है कि ये अकेले लोग भी अपने-आप में इतने मजबूत-दिल हैं कि इन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि इनके साथ कोई है भी कि नहीं है !!
              मगर मेरा मुख्य प्रश्न यही है कि हम भारतीय इतने जिद्दी....इतने थेथर क्यूँ हैं कि कैसी भी बात पर अब हम नहीं पसीजते....बहुत सी ऐसी चीज़ें जो महज हमारी बुरी आदतों के कारण हैं,अपनी उन आदतों को नहीं छोड़ते ! बहुत-सी ऐसी समस्याएँ जो चुटकियों में हल हो जाए उन्हें अपने किस अहंकार के कारण टाले हुए रखते हैं !तो बहुत सारी समस्याएँ तो हमारी घटिया मानसिकताओं से सृजित हैं और हम अपनी मानसिकता को बदलने को तैयार ही नहीं होते !!.....हम इतने बूरे क्यों हैं आमिर कि हम अपने देश के लिए.....कि हम खुद अपने खुद के लिए... कि हम अपने सब कुछ की बेहतरी के लिए भी कोई सामूहिक प्रयास करने को उद्दृत नहीं होते.....!!हम अपने निजी गुस्से के अलावा किसी भी सामूहिक हित के लिए उद्वेलित नहीं होते !!....हम अपने शहर-राज्य या देश के सम्मान की परवाह करना तो दूर,उसकी अवहेलना तक करते हैं !हमारे खुद के हित के लिए बनाए गए उसके कायदे-क़ानून तक की अवहेलना करते हैं !!
              और आमिर !!हमारे द्वारा हर पल की जाने वाली यही अवहेलनाएं अंततः हमारे गर्त में जाने का रास्ता बनाए जा रही हैं,यह भी तो हम नहीं जानते !!....आमिर चाहता तो हर एपिसोड के हर विषय पर अलग-अलग ही कुछ लिखता....मगर आपके पास शायद इतना वक्त नहीं होता...और फिर मेरे द्वारा लिखी गयी हर बात में सार तो यही होता....और रही वक्त की बात...तो वक्त तो हम सबके पास इतना होता है कि हम सब जीते हैं,अपनी-अपनी समस्याएँ सुलझाते हैं....ऐश-मौज करते हैं....ना जाने क्या-क्या करते हैं....अपने परिवार की शान भी बनते हैं....कभी-कभी तो हम ऐसे-ऐसे भी काम करते हैं कि उससे शहर-राज्य और देश की शान में इजाफा होता है मगर असल में प्राथमिकता हमारा देश नहीं होता.....हमारा खुद का अहंकार ही होता है.....काश कि हम सब में से सब लोग थोड़ा-थोड़ा ही बस भर देश के लिए भी जी जाएँ तो इस मादरे-वतन की शक्लो-सूरत सदा-सदा के लिए बदल जाए....!!                                                           जय-हिंद !!सत्यमेव-जयते !!          

--
सोचता तो हूँ कि एकांगी सोच ना हो मेरी,किन्तु संभव है आपको पसंद ना भी आये मेरी सोच/मेरी बात,यदि ऐसा हो तो पहले क्षमा...आशा है कि आप ऐसा करोगे !!

''हरियाली तीज ''-''रमज़ान माह'' की हार्दिक शुभकामनायें





 परिचय -
हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तीसरी  तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व  भारतीय  महिलाओं का विशेष त्यौहार है .यह भारत  में राजस्थान ,उत्तर प्रदेश और बिहार में विशेष रूप से  मनाया जाता है .इस दिन उपवास व् घेवर की मिठाई दोनों का विधान है.ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से माता पार्वती की कृपा से कुवारी कन्या  को  मनचाहा  वर प्राप्त होता है और सुहागन नारियों   का सुहाग अमर रहता है . मेहँदी रचाए व् नवीन वस्त्रों को धारण करें भारतीय  नारियों की शोभा देखते ही बनती है .झूलों व् हरियाली गीतों से   इस त्यौहार की रौनक  और  भी  बढ़   जाती  है .सभी भारतीय महिलाओं को ''हरियाली तीज '' की हार्दिक   शुभकामनायें .साथ  ही सभी ब्लोगर बंधुओं व्   बहनों को रमज़ान माह की हार्दिक  शुभकामनायें !  
                  शिखा   कौशिक   

शनिवार, 21 जुलाई 2012

BLOG PAHELI-33 RESULT


ब्लॉग पहेली 33 में पूछे गए  प्रश्न का  सही जवाब है -
सही उत्तर देकर विजेता बने हैं -
श्री दिनेश  चन्द्र  गुप्ता  जी  [रविकर ]
Trophy : Star award against glow gradient background
winner 33 blog paheli
shri dinesh chandr gupta
[ravikar ]


आपको  बहुत  बहुत बधाई  
                      शिखा कौशिक   

मंगलवार, 17 जुलाई 2012

ब्लॉग पहेली ३३

ब्लॉग पहेली ३३
                           ब्लॉग पहेली ३३ में आप  सभी का स्वागत है .आपको देना है इस  प्रश्न का  जवाब -
आने वाली २३ जुलाई को एक सामूहिक ब्लॉग की   पहली  वर्षगाठ  है .इस  सामूहिक ब्लॉग का नाम बताएं .
आप अपना  जवाब यहाँ  दें  -''ब्लॉग पहेली चलो हल करते  हैं ''
                      अग्रिम शुभकामनाओं  के साथ  
                            शिखा कौशिक  

बुधवार, 11 जुलाई 2012

ब्लॉग पहेली ३२

ब्लॉग पहेली ३२ 
                ब्लॉग पहेली ३२ में आपका स्वागत है .आपको बताना है उस ब्लोगर का नाम जो पिछले दिनों  महिला ब्लोगर्स के चित्र सम्बन्धी विवाद के कारण चर्चित रहे .
                  अग्रिम शुभकामनाओं के साथ 
                         शिखा कौशिक 
[please give your answer on this link -''BLOG PAHELI ''

शनिवार, 7 जुलाई 2012

ब्लॉग पहेली ३१ का परिणाम

''ब्लॉग पहेली ३१ का परिणाम ''
                  ब्लॉग पहेली ३१ में मैंने पूछा था कि -''वीर बहूटी '' ब्लॉग की स्वामिनी/स्वामी कौन हैं ?इसका सही जवाब है -
''सुश्री  निर्मला कपिला जी ''
सर्वप्रथम  सही जवाब देकर विजेता बने हैं-
श्री अशोक  कुमार शुक्ल जी .
winner
blog paheli 31
SHRI ASHOK KUMAR SHUKLA
विजेता बनने पर आपको  हार्दिक शुभकामनायें  -रविकर जी व्  आशा जी को  भी  सही जवाब प्रेषित  करने हेतु हार्दिक धन्यवाद !
     
                                              शुभकामनाओं  के साथ 
                                         शिखा कौशिक 

बुधवार, 27 जून 2012

अंदाज ए मेरा: भारत के नक्‍शे में करांची और पाकिस्‍तान...

अंदाज ए मेरा: भारत के नक्‍शे में करांची और पाकिस्‍तान...: सरबजीत सिंह एक पुरानी कहावत है, चोर चोरी से जाए, पर हेराफेरी से न जाए। पाकिस्तान का भी यही हाल है। किसी समय भारत की दया पर जिंदा रहने और ...

ब्लॉग पहेली- 30


ब्लॉग पहेली- 30 


                   ब्लॉग जगत  में  ये जाने जाते हैं दो नामों से .इनका एक नाम है-''उच्चारण'' और दूसरा .....ये  बताना  है आपको .
                              अग्रिम शुभकामनाओं के साथ 
                         शिखा कौशिक 
[give answer on this-blog paheli chalo hal karte hain ]


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शनिवार, 16 जून 2012

अंदाज ए मेरा: शीर्षक सुझाएं.....

अंदाज ए मेरा: शीर्षक सुझाएं.....: कुछ दिनो पूर्व एक अखबार के शीर्षक और इसे लेकर फेसबुक पर चली लंबी बहस ने काफी कुछ सोचने मजबूर किया। अखबार में एक खबर का फालोअप था और शीर्ष...

सोमवार, 11 जून 2012

अंदाज ए मेरा: लोकतंत्र का मजाक!

अंदाज ए मेरा: लोकतंत्र का मजाक!:  यह लोकतंत्र का कौन सा चेहरा है ? लोकतंत्र में बहुदलीय प्रणाली की व्यवस्था है। अलग-अलग दलों के लोग चुनाव मैदान में होते हैं और उनमें से जनता...

रविवार, 3 जून 2012

ब्लॉग पहेली -२८ -RESULT

 
 
ब्लॉग पहेली -२८  
                       ब्लॉग  पहेली  २८  में   मैंने  पूछा था   ''कानूनी  ज्ञान  '' ब्लॉग  के  स्वामी /स्वामिनी  का  नाम  .इस ब्लॉग की स्वामी हैं सुश्री शालिनी कौशिक जी .आशा जी ने सही जवाब देकर पाया है विजेता बनने का गौरव  .आशा जी को हार्दिक शुभकामनायें .
विजेता   
ब्लॉग  पहेली  -28
सुश्री  आशा  जी  

                        शिखा कौशिक
         [ब्लॉग पहेली चलो हल करते हैं ]

मंगलवार, 29 मई 2012

ब्लॉग पहेली -२८

ब्लॉग पहेली -२८ 
                  ब्लॉग पहेली २८ में आपको बताना  है  इस  ब्लॉग के स्वामी/स्वामिनी का नाम -
               ''कानूनी ज्ञान  ''
 
                                                     शुभकामनाओं के साथ 
                                                             शिखा कौशिक 
[अपने  जवाब यहाँ दें -

शनिवार, 26 मई 2012

ब्लॉग पहेली -२७ का परिणाम


ब्लॉग पहेली -२७ का परिणाम  

                   ब्लॉग  पहेली  २७  में  पूछे  गए सवाल के जवाब में दो  उत्तर प्राप्त हुए हैं .सर्वप्रथम रविकर जी का उत्तर प्राप्त हुआ ...जो बिलकुल  सही था  .आशा  जी ने भी ''विख्यात '' को छोड़कर अन्य ब्लोग्स  के नाम सही पहचाने .सही उत्तर इस प्रकार है-
ब्लॉग मौहल्ला
 नुक्कड़
 चर्चा मंच 
नयी पुरानी हलचल
 दुनिया रंग रंगीली 
विख्यात मेरी बातें 
आधा सच 
 रचनाकार
 काव्य का संसार
 एक ब्लॉग सबका 
सरोकार .
रविकर जी को विजेता बनने पर हार्दिक शुभकामनायें 
Trophy_winner : Gold trophy
winner
blog paheli 27
shri dinesh gupta
''ravikar ''



                                                                 शिखा कौशिक 

बुधवार, 23 मई 2012

ब्लॉग पहेली -२७


ब्लॉग पहेली -२७ 
                इस बार  की  पहेली में  छिपे  हैं बारह ब्लोग्स के नाम  .सर्वप्रथम व्   सही   उत्तर   देकर   बने विजेता -
                    
ब्लॉग  मौहल्ला नुक्कड़  है या  है चर्चा  मंच  
नयी पुरानी हलचल होती  नहीं कोई प्रपंच 
दुनिया रंग रंगीली है हो  जाओ   विख्यात  
मेरी  बातें आधा सच आधी  हैं अज्ञात   
बनकर  रचनाकार  सजाओ   काव्य का संसार  
एक ब्लॉग सबका बने ये है सरोकार .
                                                    शुभकामनाओं के साथ 
                                                  शिखा कौशिक 



मंगलवार, 15 मई 2012

ब्लॉग पहेली -26


ब्लॉग पहेली -26  में  आप सभी का स्वागत है इस ब्लॉग के    स्वामी  /स्वामिनी  का    नाम    बताएं    -
''मेरी  आवाज़   '''
                              शुभकामनाओं   के   साथ   
                                     शिखा कौशिक   

सोमवार, 14 मई 2012

अंदाज ए मेरा: सवाल ही सवाल???

अंदाज ए मेरा: सवाल ही सवाल???: ... और नक्सली घटनाएं हो रहीं हैं। एक तरफ सरकार नक्सलियों से बात करने का दावा कर रही है। सरकार की बनाई हाईपावर कमेटी नक्सलियों की रिहाई क...

बुधवार, 9 मई 2012

ब्लॉग पहेली-25

ब्लॉग पहेली-25 

इन ब्लोगर्स के उपनाम तो ये हैं-
१-रविकर 
२-भ्रमर 
3-जील 
   आपको बताने हैं इनके असली नाम .सर्वप्रथम  व् सही जवाब देकर  बने विजेता .
                                                                       अग्रिम शुभकामनाओं के साथ 
                                                                            shikha kaushik 
अपने  उत्तर यहाँ दें -ब्लॉग पहेली  चलो हल करते   हैं ''

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जूनून जूनून हमें हॉकी का जूनून 
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भारतीय हॉकी पुरुष  टीम को लन्दन ओलंपिक हेतु हार्दिक शुभकामनायें !

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मैदान में आ संभल कर जरा ;
हमसे न ऐसे आखें मिला ;
स्टिक नहीं ये तलवार है ;
भिड़ने को हम भी तैयार हैं ;
उबलने लगा हमारा भी खून  !
जूनून जूनून हमें हॉकी का जूनून !

चुनौती  नहीं ये ललकार है
आ जा अगर स्वीकार है ;
हमको यकीन होने वाला है ये ;
जीत हमारी तेरी हार है ;
हराकर ही तुझको आये सुकून !
जूनून जूनून हमें हॉकी का जूनून !


                         जय हिंद! जय भारत   !
                      शिखा कौशिक







बुधवार, 2 मई 2012

अंदाज ए मेरा: क्या समझौता? कैसी शांति? कैसी रिहाई?

अंदाज ए मेरा: क्या समझौता? कैसी शांति? कैसी रिहाई?: सरकार ढोल पीट रही है कि उसने सुकमा के कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन की रिहाई का रास्ता आखिर तय कर लिया। सब कुछ ठीक रहा तो गुरूवार को मेनन सुरक...

ब्लॉग पहेली 24



ब्लॉग   पहेली  24 

इस बार बताना  है आपको दिए गए ब्लॉग के  स्वामी /  स्वामिनी  का  नाम -

''कविता एक  कोशिश ''
please give your answer here-''BLOG PAHELI CHALO HAL KARTE HAIN ''
                                         शुभकामनाओं के साथ 
                                          शिखा  कौशिक 

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012