गुरुवार, 10 नवंबर 2011

डा. दिव्या श्रीवास्तव जी का आह्वान

क्या दिव्या जी भारत आएंगी अपने वतन पर शहीद होने के लिए ?

ZEAL: वतन की राह में वतन के नौजवाँ शहीद हों....
यह आह्वान कर रही हैं डा. दिव्या श्रीवास्तव जी।
अच्छी प्रेरणा है।
पोस्ट पढ़ने के लिए गए तो देखा कि 39 कमेंट भी हो गए हैं लेकिन किसी ने भी यह नहीं कहा कि वतन की नौजवां तो आप भी हैं, आप भी शहीद होने के लिए अपने वतन आ जाईये न !

इसी का नाम है पर उपदेश कुशल बहुतेरे !!
आजकल के नेता लोग इसी तरकीब से काम चला रहे हैं।
खुद को बचाए रखेंगे और लोगों से कहेंगे कि ‘चढ़ जा बेटा सूली पर राम भली करेगा‘
लेकिन अब जनता की आंखें कुछ कुछ खुलने लगी हैं।
वह चाहती है कि जो शहीद होने की प्रेरणा दे रहा है पहले इस रास्ते पर वह खुद तो चलकर दिखाए !!!

क्या दिव्या जी भारत आएंगी अपने वतन पर शहीद होने के लिए ?
इसे हम भी पूछ रहे हैं और आप भी पूछिए .
अगर वे नहीं आतीं और खुद थाईलैंड में रहकर विदेशी मुद्रा कमा रही हैं तो दूसरों को भी बताएं कि वे अपना देश छोड़कर कैसे अपना भविष्य बेहतर बना सकते हैं ?
जिस काम का उन्हें तजुर्बा है, उस काम की सलाह देना ज़्यादा ठीक है बनिस्बत शहादत की प्रेरणा देने के , कि जो काम उन्होंने न तो किया है और न ही कभी करना है।

बुधवार, 9 नवंबर 2011

अंदाज ए मेरा: इमरजेंसी लगी है घर में......!!!!

अंदाज ए मेरा: इमरजेंसी लगी है घर में......!!!!: मेरे घर का माहौल कल से खराब है ! मेरी पत्‍नी थोडी थोडी देर में चिल्‍ला रही है ! जिस वक्‍त देश में इमरजेंसी लगी थी उस वक्‍त मैं महज चार ...

''अमृता प्रीतम '' जी का हौज खास वाला मकान -एक सांस्कृतिक विरासत [एक अपील]


''अमृता प्रीतम '' जी का हौज खास वाला मकान -एक सांस्कृतिक विरासत [एक अपील]
[अशोक जी के आह्वान पर मैंने  ''भारतीय नारी' ब्लॉग से अशोक जी द्वारा दिए गए लिंक पर राष्ट्रपति  जी से 
yah  विनम्र निवेदन किया है .आशा है आप भी इस दिशा में अपना सर्वोत्तम  प्रयास करेंगे  .इसका परिणाम  शुभ ही होगा .
                                    शिखा कौशिक  ]




माननीय 
                    प्रतिभा जी 
                      राष्ट्रपति
           भारत सरकार

सविनय निवेदन है कि हमारी प्रिय लेखिका ''अमृता प्रीतम '' जी का हौज खास वाला मकान किन्ही जरूरतों का हवाला देकर बेच दिया  गया है .''अमृता '' जो भारत की प्रतिष्ठित लेखिका  रही हैं उनका  मकान एक सांस्कृतिक विरासत के रूप में संजोया  जाना चाहिए था .''भारतीय नारी '' ब्लॉग की और से मैं आपसे विनम्र निवेदन करती हूँ कि आप इस दिशा में उचित  कदम   उठाएं   .''भारतीय नारी '' परिवार  आपका बड़ा आभारी रहेगा .

                                                                                                                       भवदीय 
                                                                                       शिखा कौशिक 
                                                                             शालिनी कौशिक
[अशोक जी ने इस प्रकार  शुरू किया है यह अभियान .आप भी दें साथ -]


यह रही राष्ट्रपति भवन की शिकायत प्राप्ति रसीद

सेवा में

श्रीमान महामहिम भारत के राष्ट्रपति
भारतीय गणराज्य
राष्ट्रपति भवन
नई दिल्ली, भारत


द्वाराः- उचित माध्यम जिलाधिकारी लखनऊ (अग्रिम प्रति ई मेल द्वारा प्रेषित)

विषयः स्व0 अमृता प्रीतम के निवास स्थान को सांस्कृतिक स्मारक के रूप में संरक्षित करने विषयक।

आदरणीय महोदय,

अति विनम्रतापूर्वक अबगत कराना है कि विभिन्न ब्लागों पर प्रकाशित आलेखों तथा समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों के माध्यम से अभी हाल ही में यह ज्ञात हुआ है कि हिंदी एवं पंजाबी भाषा की महान लेखिका स्व0 अमृता प्रीतम जी का नई दिल्ली हौज खास स्थित वह भवन जिसमें वे अपनी मृत्यु पर्यन्त निवास करती रही थी वर्तमान के किसी भवन निर्माता द्वारा बहुमंजिली इमारत बनाने के उद्देश्य से तोड दिया गया है।

उत्तर प्रदेश में स्व0 मुशी प्रेमचन्द जी का जन्म स्थान लमही हो अथवा उत्तराखंड के स्व0 सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म स्थान कौसानी , इसे संबंधित सरकारों ने न केवल राष्ट्रीय विरासत के रूप में संजोया है अपितु समय समय पर इन सांस्कृतिक विरासतो के प्रति यथानुसार शासकीय सम्मान भी प्रदर्शित किया जाता है।

पंजाबी भाषा तथा हिंदी में रचित स्व0 अमृता प्रीतम जी के साहित्य में ‘दिल्ली की गलियां’(उपन्यास), ‘एक थी अनीता’(उपन्यास), काले अक्षर, कर्मों वाली, केले का छिलका, दो औरतें (सभी कहानियां 1970 के आस-पास) ‘यह हमारा जीवन’(उपन्यास 1969 ), ‘आक के पत्ते’ (पंजाबी में बक्क दा बूटा ),‘चक नम्बर छत्तीस’( ), ‘यात्री’ (उपन्यास1968,), ‘एक सवाल (उपन्यास ),‘पिधलती चट्टान(कहानी 1974), धूप का टुकडा(कविता संग्रह), ‘गर्भवती’(कविता संग्रह), आदि प्रमुख हैं जिन्हे पंजाब राज्य सरकार तथा भारत सरकार के संस्किृति विभाग द्वारा समय समय पर विभिन्न सम्मानों से भी अलंकृत किया गया है।

स्व0 अमृता प्रीतम जी की रचनाओं के संबंध में हमारे पडोसी देश नेपाल के उपन्यासकार धूंसवां सायमी ने 1972 में लिखा था किः-‘‘ मैं जब अम्रता प्रीतम की कोई रचना पढता हूं, तब मेरी भारत विरोधी भावनाऐं खत्म हो जाती हैं।’’

हिन्दुस्तान की साहित्यिक बिरादरी की ओर से मैं महोदय को इस अपेक्षा से अवगत कराना चाहता हूँ कि ऐसी महान साहित्यकार के निवास स्थान को उनकी मृत्यु के उपरांत साहित्यिक धरोहर के रूप में संजोना चाहिये था परन्तु यह सुनाई पडा है कि स्व0 अमृता जी के इस भवन को बच्चों की जरूरत के नाम पर किसी भवन निर्माता को बेच दिया गया है।
कोई भी जरूरत सांस्कृतिक विरासत से बडी नहीं हो सकती अतः इस संबंध में महोदय से विनम्र प्रार्थना है कि इस प्रकरण में महामहिम को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है तथा उसे अपने स्तर से दिल्ली राज्य की सरकार को निम्न प्रकार के निर्देश देने चाहिये:-




1ः-स्व0 अमृता प्रीतम जी के निवास स्थान 25 हौज खास के परिसर को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में अधिग्रहीत करते हुये उस स्थान पर स्व0 अमृता प्रीतम जी की यादो से जुडा एक संग्रहालय बनाया जाय।



2ः-यदि किन्ही कारणों से उपरोक्तानुसार प्रार्थित कार्यवाही अमल में नहीं लायी जा सकती तो कम से कम यह अवश्य सुनिश्चित किया जाय कि संदर्भित स्थल 25 हौज खास पर बनने वाले इस नये बहुमंजिला भवन का नाम स्व0 अमृता प्रीतम के नाम पर रखते हुये कमसे कम इसके एक तल को स्व0 अमृता प्रीतम के स्मारक के रूप में अवश्य संरक्षित किया जाय।
हिन्दुस्तान की उस साहित्यिक बिरादरी की ओर से प्रार्थी सदैव आभारी रहेगा जिसके पास अपनी बात रखने के लिये बडे बडे फोरम या बैनर नहीं है।

महामहिम महोदय द्वारा हिन्दुस्तानी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिये किये गये इस कार्य के लिये सदैव कृतज्ञ रहेगा।
प्रार्थी /भवदीय

(अशोक कुमार शुक्ला)
‘तपस्या’ 2/614 सेक्टर एच’
जानकीपुरम्, लखनऊ
(उत्तर प्रदेश)

और एक अपील

आदरणीय पाठकगण
प्रेम की उपासक अमृता जी उनकी सांस्कृतिक विरासत को बचाये रखने के लिये कोई अभियान अवश्य चलायें। पहली पहल करते हुये भारत के राष्ट्रपति को प्रेषित अपने पत्र की प्रति आपको भेज रहा हूँ । उचित होगा कि आप एवं अन्य साहित्यप्रेमी भी इसी प्रकार के मेल भेजे । अवश्य कुछ न कुछ अवश्य होगा इसी शुभकामना के साथ महामहिम का लिंक है


रविवार, 6 नवंबर 2011

विज्ञान के युग में कुर्बानी पर ऐतराज़ क्यों ?

जब तक तन में प्राण रहेगा, हार नहीं मानूँगा।
कर्तव्यों के बदले में, अधिकार नहीं मागूँगा।।
http://hbfint.blogspot.com/2011/11/16-eid-mubarak.html


 अनवर जमाल जी की रचनाएँ 

पाकिस्तान ने अंततः भारत को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दे दिया


भाई राजीव जी के स्वदेशी आन्दोलन की अगली कड़ी - स्वदेशी पीठम ...


मित्रों..
आजादी बचाओ आन्दोलन के संस्थापक भाई राजीव दीक्षित  जी के नाम से हम सभी परिचित  हैं..
सत्य अर्थों में कहें तो एक अमर हुतात्मा जिसके अन्दर राष्ट्रभक्ति एवं राष्ट्र स्वाभिमान की भावना कोटि कोटि विद्यमान थी..काल चक्र अनवरत चलने के साथ साथ कभी कभी धैर्य परीक्षा की पराकाष्ठा करते हुए हमारे प्रति  क्रूर हो जाता है..कुछ ऐसा ही हुआ और इसे देशद्रोही विरोधियों का षड्यंत्र कहें या नियति का विधान राजीव भाई पिछले साल हमारे बिच से चले गए ..समयचक्र चलता रहा और कब एक साल निकल गया पता ही नहीं चला मानो प्रतीत होता है , कल की ही बात है जब राजीव भाई अपने व्याख्यानों एवं प्रयोगों से हमारा मार्गदर्शन और उत्साहवर्धन कर रहें है..
पिछले  एक वर्ष  में कई बार ऐसा प्रतीत हुआ की राजीव भाई के जाने के बाद स्वदेशी और आजादी बचाओ आन्दोलन अपने असामयिक अंत की ओर न बढ़ जाये.. मगर शायद राजीव जी और विवेकानंद जैसे महापुरुषों को इश्वर मनुष्यता के एक प्रेरणाश्रोत के रूप में हमारे बीच अल्पावधि के लिए भेजता है जिनके स्थापित उच्च आदर्शो और विचारों पर चलकर मानवता,धर्म ,देशभक्ति एवं समाज के पुनर्निर्माण की नीव रक्खी जानी है...राजीव भाई के स्वप्न एवं जनजागरण के अभियान को आगे बढ़ाने के लिए उनके अनुज भाई प्रदीप दीक्षित  ने बाबा रामदेव जी के आशीर्वाद से स्वदेशी भारत पीठम ट्रस्ट के माध्यम से पुनः आन्दोलन को आगे बढ़ाने का कार्य प्रारंभ किया है.. इसी कड़ी में राजीव भाई की कर्मस्थली वर्धा में, उनके
जन्मदिवस और प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर  "स्वदेशी दिवस" समारोह  का आयोजन किया जा रहा है जिसमें देश के विभिन्न भागों से लगभग ४ से ५ हजार लोग उपस्थित होंगे..इसी सन्दर्भ में प्रदीप दीक्षित जी का व्याख्यान ६ नवम्बर(रविवार) को नई दिल्ली में जनकपुरी स्थित आर्य समाज मंदिर में भाई अरुण अग्रवालजी के देखरेख एवं प्रबंधन  में संपन्न हुआ..
औपचारिक रूप से स्वदेशी भारत पीठम की ये पहली कार्यकारिणी बैठक भी थी जिसमें दिल्ली और पास के राज्यों से कुछ समर्पित कार्यकर्त्ता उपस्थित हुए एवं सेवाग्राम में होने वाले स्वदेशी मेले के आयोजन के सन्दर्भ में परिचर्चा की गयी...
आप सभी बंधुओं,माताओ एवं बहनों से अनुरोध है की "स्वदेशी दिवस" समारोह में वर्धा सेवाग्राम में उपस्थित  होकर अपने विचारो से अवगत कराएँ एवं राजीव भाई के स्वदेशी,स्वावलंबी भारत के कार्यक्रम में सहयोग करके राष्ट्रनिर्माण के पावन कार्य में सहयोग दे....
अधिक जानकारी के लिए आप  राजीव भाई की वेबसाइट  पर जा सकते हैं..



जय श्री राम....
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