बुधवार, 13 जुलाई 2011

कहाँ कहाँ छिपे हैं आतंकवादियों के मददगार अर्थात ग़ददार ?

मुंबई में हुए बम ब्लास्ट को लेकर ब्लॉगर्स में बहुत ग़म और ग़ुस्सा है । उनका कहना हैकि
देश के दुश्मनों के लिए काम करने वाले ग़द्दारों को चुन चुन कर ढूंढने की ज़रूरत है और उन्हें सरेआम चैराहे पर फांसी दे दी जाए। चुन चुन कर ढूंढना इसलिए ज़रूरी है कि आज ये हरेक वर्ग में मौजूद हैं। इनका नाम और संस्कृति कुछ भी हो सकती है, ये किसी भी प्रतिष्ठित परिवार के सदस्य हो सकते हैं। पिछले दिनों ऐसे कई आतंकवादी भी पकड़े गए हैं जो ख़ुद को राष्ट्रवादी बताते हैं और देश की जनता का धार्मिक और राजनैतिक मार्गदर्शन भी कर रहे थे। सक्रिय आतंकवादियों के अलावा एक बड़ी तादाद उन लोगों की है जो कि उन्हें मदद मुहैया कराते हैं। मदद मुहैया कराने वालों में वे लोग भी हैं जिन पर ग़द्दारी का शक आम तौर पर नहीं किया जाता।
‘लिमटी खरे‘ का लेख इसी संगीन सूरते-हाल की तरफ़ एक हल्का सा इशारा कर रहा है.
ग़द्दारों से पट गया हिंदुस्तान Ghaddar

मृतकों के प्रति संवेदनाएं प्रेषित कर रहे हैं हिंदी ब्लॉगर्स

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