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शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

ऐसा देश है मेरा.....


पढ़ा लिखा है यहाँ संतरी 
अशिक्षित है शिक्षामंत्री 
सुन लो ओ जग वालों 
कहता हूँ मैं खरी-खरी 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा 
जिसको घर का काज न आवे 
वो प्रदेश का राज चलावे 
जहाँ का लीडर अपनी सोचे 
और समाज का बैंड बजावे 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा
भाई भतीजा वाद बहुत है 
भ्रष्टाचार आबाद बहुत है 
मानवता ईमान नहीं कुछ 
धर्म के नाम पे फसाद बहुत है 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा
पत्थर पे लाखों का हार सजाते 
पर गरीब को मार भगाते 
अंधविश्वास का हाल ये देखो 
बच्चों का भी शीश चढाते 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा
हम दो हमारे सौ का नारा है 
आबादी बढ़ाना ही काम प्यारा है 
लड़की उनको भी कुंवारी चाहिए 
जो खुद सौ-सौ मुंह मारा है 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा
लोग चवन्नी बस यहाँ कमाते 
शाम हुई खूब पी के आते 
ज्ञान के नाम पर शून्य हैं फिर भी 
बातें बड़ी-बड़ी कर जाते 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा
'हीरो' की तुम देखो बातें 
फुटपाथ पर गाडी चलते 
लोग फिर भी है उनके 'फैन'
जो लोगों को नींद में उड़ाते 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा
विश्व सुंदरी भी क्या कमाल करें 
परोपकार समाज सेवा की बात करे 
पहनते ही ताज मगर वो भी 
'बॉलीवुड' की ही राह धरे 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा
कहीं-कहीं हैं रातें उजली 
कहीं-कहीं हैं दिन में भी अँधेरा 
चंद लोग तो महलों में सोते 
बाकी का है फुटपाथ बसेरा 
ऐसा देश है मेरा ऐसा देश है मेरा

रविवार, 21 अगस्त 2011

अहसास.....!


कविता ....

अहसास.....!

जब बहुत उदास होता हूँ मैं
तो सिर्फ कापी और पेन हाथ में आते हैं
पता नहीं क्यूँ कर हम
जिसे भुलाना चाहते है 
वह उतना याद आते हैं
लेकिन यह बात आखिर जाकर 
उन्हें बताएगा कौन
क्योंकि यह सारी दुनियां
तो आखिर हो गयी है मौन
परन्तु यह एक सास्वत सत्य है
की यह बात आखिर वह
भी किसी दिन जान जाएगी
काश ! वह एक बार मुझको आजमाती
मैं तो सिर्फ और सिर्फ उसी को
देखता रहता हूँ सिर्फ ख्वाबों में
लेकिन क्या ?  यह ख्वाब सच होगा
हाँ शायद हो जाये क्योंकि
यह प्यार है ही ऐसा कोमल  अहसास 

नीलकमल वैष्णव "अनिश"