कविता ....
जब बहुत उदास होता हूँ मैं
तो सिर्फ कापी और पेन हाथ में आते हैं
पता नहीं क्यूँ कर हम
जिसे भुलाना चाहते है
वह उतना याद आते हैं
लेकिन यह बात आखिर जाकर
उन्हें बताएगा कौन
क्योंकि यह सारी दुनियां
तो आखिर हो गयी है मौन
परन्तु यह एक सास्वत सत्य है
की यह बात आखिर वह
भी किसी दिन जान जाएगी
काश ! वह एक बार मुझको आजमाती
मैं तो सिर्फ और सिर्फ उसी को
देखता रहता हूँ सिर्फ ख्वाबों में
लेकिन क्या ? यह ख्वाब सच होगा
हाँ शायद हो जाये क्योंकि
यह प्यार है ही ऐसा कोमल अहसास
नीलकमल वैष्णव "अनिश"
1 टिप्पणी:
हरीश जी नमस्कार
सबसे पहले तो आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने मुझे अपने ब्लाग का लिंक प्रदान कर मुझे अनुग्रहित किया
आज यह इस मंच पर मेरा पहला पोस्ट है आशा है ब्लागर मित्रो को पसंद आएगी अगर पसंद आई है तो अपने स्नेह की बौछार जरुर करें अपने शब्दों की रूप में और मेरे ब्लाग मित्र-मधुर पर भी अपने आगमन का कष्ट करें धन्यवाद
http;//www.neelkamalkosir.blogspot.com
एक टिप्पणी भेजें