एक नारी होकर आपने कैसे किया पुरुष समाज का सामना ?क्या आप दे पाई किसी कुप्रथा को चुनौती ?और यदि आप हैं पुरुष तो आपने कैसे दिया किसी नारी का साथ किसी कुप्रथा से लड़ने में ? दो सौ शब्दों की सीमा में लिख दीजिये अपना संस्मरण .यही है -''भारतीय नारी '' ब्लॉग प्रतियोगिता -3
नियम व् शर्ते
*अपनी प्रविष्टि केवल इस इ मेल पर प्रेषित करें [shikhakaushik666@hotmail.com].अन्यत्र प्रेषित प्रविष्टि प्रतियोगिता का हिस्सा न बन सकेंगी .प्रविष्टि के साथ अपना पूरा पता सही सही भेंजे .
* प्रतियोगिता आयोजक का निर्णय ही अंतिम माना जायेगा .इसे किसी भी रूप में चुनौती नहीं दी जा सकेगी .
*प्रतियोगिता किसी भी समय ,बिना कोई कारण बताये रद्द की जा सकती है .
* विजेता को ''चन्दन का सौरभ '' पुस्तक की एक प्रति पुरस्कार स्वरुप प्रदान की जाएगी .
*उत्तर भेजने की अंतिम तिथि ३१ अगस्त २०१३ है .
*प्रतियोगिता परिणाम के विषय में अंतिम तिथि के बाद इसी ब्लॉग पर सूचित कर दिया जायेगा .
शिखा कौशिक 'नूतन'
[व्यवस्थापक -भारतीय नारी ब्लॉग ]
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