सोमवार, 19 मार्च 2012

अविनाश वाचस्पति जी [खुला विरोध ]


                                             [खुला विरोध ]


अविनाश वाचस्पति  जी ,
                             नमस्कार ,
                    आपकी  इस  पोस्ट  की  मैं  निंदा  करती हूँ .




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  • अविनाश वाचस्पति

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  • बस कमी यह रह गई 

    वह नहीं नाचीं
    तबीयत नासाज रही जरासी।''



    सोनिया जी एक महिला [मह+इलच+आ=जो  श्रेष्ठ  है ] हैं  .उनके  प्रति  आपके  ये  उद्गार  समस्त  नारी  जाति  को अपमानित  करते  प्रतीत   होते  हैं .व्यंग्य  की भी  एक सीमा होती   है .............बस भगवती देवी शर्मा  जी के शब्दों में -"नारी की गरिमा को गिराने में घाटा ही घाटा है"


                                           शिखा कौशिक 

    1 टिप्पणी:

    Shalini kaushik ने कहा…

    avinash ji jaise prabuddh bloggar ko apne par kuchh ankush to laga hi lena chahiye kyonki nari jati ke khilaf aisee behuda post ko koi bhi prabuddh bloggar izazat nahi dega.
    क्या यही लोकतंत्र है?