आईना टेढ़ा हो तस्वीर भी टेढ़ी ही दिखेगी। दिल भी एक आईना है। क़ुरआन पढ़ने से पहले इसे निर्मल कीजिए और निष्पक्ष हो कर क़ुरआन पढ़िये। तब पता चलेगा कि जो इल्ज़ाम क़ुरआन पर लगा रहे थे, वह बस इल्ज़ाम ही थे, जिनकी कोई सच्चाई कभी थी ही नहीं।
कुछ वजहों से आदमी क़ुरआन का नाम सुनता है लेकिन उसे पढ़ता कभी नहीं है। जब वह पढ़ता है तो उसे लगता है कि मुझसे बड़ी ग़लती हुई जो मैंने क़ुरआन के बारे में औल फ़ौल बका।
स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य ऐसे ही व्यक्ति हैं।
उनकी पोस्ट को यहां देखा जा सकता है-
इस्लाम आतंक ? या आदर्श
इसी के साथ देखिए यह वीडियो कि क़ुरआन क्या सिखाता है ?
और यह वीडियो
Ex-Shankarcharya Sanjay Dwivedi : How Vedas Guide me to Islam from Hinduism
http://youtu.be/KXyTvCnapbo
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें