मंगलवार, 27 मार्च 2012

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!



      मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!

      कहते हैं एक राजा हुआ,और एक बार उसके दरबार में तीन ऐसे चोर एक साथ लाये गए,जिन्होंने एक ही तरह की चोरी की थी,मगर राजा ने तीनो को ऊपर से नीचे देखते हुए तीन प्रकार के दंड दिए तब उसके एक मंत्री ने इसका कारण पूछा तो राजा के कहे-अनुसार उन तीनों सजा पाए हुए चोरों का पीछा किया गया और तब यह पाया गया कि जिसे सबसे कम सजा मिली थी उसने रात ही आत्महत्या कर ली,दूसरा,जिसे थोड़ी ज्यादा सजा मिली,उसने खुद को एकांत में कैद कर लिया था मगर सबसे ज्यादा सजा जिसे मिली थी वह अब भी लोगों के बीच बोल-हंस-बतिया रहा था !!इस प्रकरण से लोगों को अपने प्रश्नों का उत्तर और राजा के न्याय की तर्कसंगतता का प्रमाण भी मिल गया !!
       मगर उपरोक्त उदाहरण के परिप्रेक्ष्य में आज के दौर को परखें तो हम पाते हैं कि हर कोई वह तीसरा चोर बनने को ही आतुर-आकुल-व्याकुल है और उसे इस बात की तनिक भी परवाह नहीं कि समाज तो समाज,कोई भी बन्दा उसके बारे में क्या सोचता-समझता और कहता है !!अपनी अंतहीन वासना में रत हर कोई गोया एक-दुसरे पर चिल्ला रहा है मगर उसे अपना गिरेबान नज़र नहीं आ रहा है ,इधर सारे पत्र-पत्रिकाएं अपने सम्पादकीय और अन्य स्तंभ काले-पर-काले किये जा रहे हैं,बरसों-बरस से तरह-तरह के हज़ारों-हज़ार घोटालों-गबन और तमाम तरह की मक्कारियों-बेईमानियों पर चौक-चौराहों-गली-नुक्कड़-कैंटीन-दफ्तर-घर-बाहर-फुटपाथ-सेमीनार-गोष्ठियों से लेकर संसद-विधानसभा तक में चर्चा पर चर्चा और निंदा पर निंदा हुई जा रही है मगर परिणाम...??टायं-टायं-फीस !!
        ये तीसरी तरह का चोर आज हर कहीं काबिज है और कोई कितना भी हल्ला करे या शोर मचाये या अनशन करे या आंदोलन मगर कहीं कुछ होने की संभावना ही नहीं...क्यूंकि चोर ही जब शोर मचाने लगते हैं तब सच-और झूठ फ्रेम से गायब हो जाते हैं और सब एक-दुसरे को पकड़ने-कूतने-धकियाने-लतियाने की कवायद और नौटंकी करने लगते हैं और इस नौटंकी का कभी कोई परिणाम नहीं निकलने को जब जब लीडर का चरित्र राष्ट्रीय तो क्या बचा...निजी चरित्र भी खत्म हो चुका है !!  

1 टिप्पणी:

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

...निजी चरित्र भी खत्म हो चुका है !!
yhi to dukhad bat hai niji charitra se hi to rashtra ka charitra banta hai.