जितनी बंटनी थी बंट चुकी ये ज़मीं,
अब तो बस आसमान बाकी है |
सर क़लम होंगे कल यहाँ उनके,
जिनके मुंह में ज़बान बाक़ी है ||
http://hbfint.blogspot.com/2011/11/17-happy-childrans-day.html
अब तो बस आसमान बाकी है |
सर क़लम होंगे कल यहाँ उनके,
जिनके मुंह में ज़बान बाक़ी है ||
http://hbfint.blogspot.com/2011/11/17-happy-childrans-day.html
3 टिप्पणियां:
वाह क्या सटीक कहा है ।
बहुत कुछ पठनीय है यहाँ आपके ब्लॉग पर-. लगता है इस अंजुमन में आना होगा बार बार.। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद !
आपके ब्लॉग पर आना अच्छा लगा
बहत अच लिकते है आप
एक टिप्पणी भेजें