tag:blogger.com,1999:blog-659097113786643559.post1312441396475088571..comments2023-10-20T09:20:20.022-07:00Comments on भारतीय ब्लॉग समाचार: बीबीएलएम मंच ने वक्तव्य देकर बीच बचाव करायाहरीश सिंहhttp://www.blogger.com/profile/13441444936361066354noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-659097113786643559.post-23769608254616848172011-07-11T12:03:01.519-07:002011-07-11T12:03:01.519-07:00@ प्रिय अंकित जी ! मैंने श्री रामचंद्र जी और सीता ...@ प्रिय अंकित जी ! मैंने श्री रामचंद्र जी और सीता जी के नाम इतने आदर से लिए हैं और संस्कृत के लिए भी इतने अच्छे विचार व्यक्त किए हैं लेकिन इसके बावजूद भी आपने हमें ‘असुर‘ कह दिया। राष्ट्रवादी बंधु मुसलमानों को इसी तरह इल्ज़ाम देकर अपने से दूर कर देते हैं और फिर कहते हैं कि मुसलमान हमारा साथ नहीं देते। <br />मुसलमान तो आपका साथ दे दें लेकिन आप लेने को भी तो तैयार हों भाई।<br />आप तौहीन करेंगे तो भी कुछ मुसलमान आपके साथ ज़रूर आ जाएंगे लेकिन ये वो ख़ुदग़र्ज़ मुसलमान होंगे जो आएंगे केवल अपना काम निकालने के लिए। अब आप ख़ुद सोचिए कि इस तरह भड़क भड़क इल्ज़ाम लगाने से आप राष्ट्रवादियों का हित कर रहे हैं या अहित ?<br /><br />सादर !DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-659097113786643559.post-90366862552202580562011-07-11T01:43:28.786-07:002011-07-11T01:43:28.786-07:00पता नहीं आप ने यह पोस्ट कहाँ कहाँ लगाई है , मैं उस...पता नहीं आप ने यह पोस्ट कहाँ कहाँ लगाई है , मैं उस मंच पर भी स्पस्ट करना चाहता हूँ की मैंने अयोध्याया में मंदिर बनाने की वकालत का विरोध किया था , अयोध्याया राम जन्म भूमि हिया और वहां पर राम मंदिर ही बनाना चाहिए .......मेरे विरोध का मूल कारण तो अनवर जमाल ने छिपा ही दिया .......कुटिल संपादन के द्वारा इसी को तो कहते हैं असुर दल की माया ..अंकित कुमार पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/02401207097587117827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-659097113786643559.post-22227304702242977082011-07-11T00:05:55.782-07:002011-07-11T00:05:55.782-07:00@ आदरणीय आशुतोष जी ! आपने अंकित जी के कटु वचनों की...@ आदरणीय आशुतोष जी ! आपने अंकित जी के कटु वचनों की निंदा करके अच्छा किया । समाज के लोग जिस चीज़ को महत्व देते हैं उसे ज़रूर सीखते हैं और सिखाते भी हैं ।<br />आज संस्कृत का एकमात्र हिंदी दैनिक आर्थिक रूप से कमज़ोर है और अपने वुजूद के लिए संघर्ष कर रहा है जबकि अंग्रेज़ी के दैनिक आज कितने सशक्त हैं ?<br />यह बताने की ज़रूरत नहीं है और यह सब करने वाले वही हैं जिनकी ज़िम्मेदारी संस्कृत पढ़ने , पढ़ाने और उसे आगे बढ़ाने की थी ।<br />जो पढ़े लिखे हिंदू भाई संस्कृत की एक पंक्ति का उच्चारण तक नहीं कर सकते वे अंग्रेज़ी तो फटाफट बोलते हैं ।<br />क्या यह शोचनीय नहीं है ?<br /><br />जो पूजा पाठ को नहीं मानते न मानें लेकिन संस्कृत का ज्ञान उन्हें भी होना चाहिए ।<br />संस्कृत को मात्र पूजा पाठ की भाषा केवल वे लोग मानते हैं जो कि संस्कृत साहित्य की व्यापकता , गहनता और उसकी महानता से वास्तव में परिचित ही नहीं हैं ।<br />लेखक की चिंता बिल्कुल जायज़ है और मैं उनसे सहमत हूँ ।<br />संस्कृति की रक्षा करने के लिए उसका ज्ञान आवश्यक है और यह काम संस्कृत के बिना संभव ही नहीं है । <br />लेखक ने यह नहीं चाहा है कि एक एक हिंदू सारे धर्मग्रंथ कंठस्थ कर ले बल्कि लेखक का कहना यह है कि लोग संस्कृत के प्रति अपनी उदासीनता छोड़ें और उसे इतना तो सीख लें कि ज़रूरत के अवसर पर वे कम से कम समूह के साथ उच्चारित तो कर सकें ।<br /><br />ऐसी अच्छी भावना के बावजूद लेखक को इस्लामिक दलाल कह दिया गया जो कि एक दुखद घटना है । अंकित जी की आयु के तो उनके बच्चे होंगे। अगर वे अपने पूज्य पिता जी की पोस्ट पढ़ेंगे तो उन्हें कितना कष्ट होगा ?<br /><br />भाई अंकित जी जैसे उग्र राष्ट्रवादियों को इसका ध्यान रखना चाहिए !DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-659097113786643559.post-19379226983399792062011-07-10T23:26:23.483-07:002011-07-10T23:26:23.483-07:00@ आदरणीय सुज्ञ जी ! हल्ला बोल मंच के बारे में दावा...@ आदरणीय सुज्ञ जी ! हल्ला बोल मंच के बारे में दावा किया गया था कि इसमें कोई सेकुलर श्वान तक न होगा तो फिर उसमें इस्लामिक दलाल कहाँ से आ गए ?<br />ज़ाहिर है कि या तो मंच का दावा ग़लत है या फिर अंकित जी का आरोप ही ग़लत है , जिसका चिँतन-खंडन आपने किया ही नहीं है । <br /><br />कृप्या इस बिंदु पर भी विचार करें और सोचें कि जब श्री रामचंद्र जी ने इस तरह की उपाधि अपनी पत्नी के अपहरणकर्ता रावण को भी न दी तो फिर किसी कम दुष्ट के लिए या अदुष्ट के लिए ऐसे शब्द कहना क्या मर्यादा का उल्लंघन करना नहीं है ?DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-659097113786643559.post-71918801636665631482011-07-10T22:58:57.144-07:002011-07-10T22:58:57.144-07:00अंकित का मैं विरोध करता हूँ...
विरोध इस बात के लि...अंकित का मैं विरोध करता हूँ...<br />विरोध इस बात के लिए उसने एक बुजुर्ग के लिए कड़े शब्द का इस्तेमाल किया..<br /><br />उन्हें तर्क द्वारा समझाया जा सकता है..अशोक जी का ये कहना की अगर सरे हिन्दू सभी धर्मग्रन्थ याद करें तभी उनकी सरक्षा संभव है तो कोई एकलौता हिन्दू शायद बिरले ही मिले जिसे हिन्दू धर्म के सभी धर्मग्रन्थ कंठस्थ हो..सब अपनी अपनी श्रधा के अनुसार पूजा करते हैं..इसमें कोई बुरा नहीं..उनकी बाते मुझे भी समझ नहीं आई इस बिंदु पर ..<br />और हमारे ही धर्म में उको भी जगह मिलती है जो कहता है ..<br /><br />पूजा जप तप नेम अचारा<br />नहीं जानत कछु दास तुम्हाराआशुतोष की कलमhttps://www.blogger.com/profile/05182428076588668769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-659097113786643559.post-46477674526764950592011-07-10T19:42:09.820-07:002011-07-10T19:42:09.820-07:00वहां अंकित जी नें सही विरोध प्रदर्शित किया है। यदि...वहां अंकित जी नें सही विरोध प्रदर्शित किया है। यदि हिंदु को सही उच्चारण नहीं आता तो मन्दिरों की जगह मस्जिदें बन जानी चाहिए? विचित्र तर्क है? मात्र इसलिए राम के जन्म पर प्रश्न-चिन्ह लग जाना चाहिए?<br />वहां वीरूभाई नें भी सही कहा-"हिंदुत्व एक जीवन शैली का नाम है किसी धर्म या कर्मकाण्ड का नहीं .सर्व -ग्राही ,सर्व -समावेशी ,सहनशील होना ,आदर से विपरीत विचार को जगह देना हिंदुत्व है शुद्ध उच्चारण का सम्बन्ध भाषिक लगाव से है ."<br />अगर हिंदु में सौहार्द है तो यही साक्ष्य है कि हिंदु भले श्र्लोकों का उच्चारण न कर पाए, उन श्र्लोकों को जीता है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.com